
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। इंदौर में गत दिनों ई-रिक्शा की बैटरी फटने से एक महिला की मौत के बाद ई-रिक्शों के संचालन पर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल के कुछ वर्षों में जबलपुर में भी ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है। शहर की सड़कों पर तकरीबन 10 हजार ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इनमें से अधिकांश ई-रिक्शा चालक रिक्शे की बैटरी का नियमित तरीके से रखरखाव नहीं करते, ओवर चार्जिंग, सफाई में कोताही और डिस्टिल्ड वाटर बदलने में भी लापरवाही की जा रही है।
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय और यातायात पुलिस भी ई-रिक्शा को लेकर किसी तरह की जांच नहीं कर रही है। ई-रिक्शा में सवारी करने वाले यात्रियों के लिए किसी दिन ये लापरवाही इंदौर की तरह यहां भी बड़ा खतरा बन सकती है। नहीं देते तकनीकी पहलुओं पर ध्यान, जोखिम में जान: शहर में संचालित ज्यादातर ई-रिक्शा पुराने हो चुके हैं जिनमें उपयोग की जा रही बैटरी भी कालातीत हो चुकी है।
बैटरी विक्रेताओं की मानें तो ई-रिक्शा में उपयोग की जाने वाली बैटरी चार बैटरी का सेट होता है। एक बैटरी 12 वाट की होती है। इनकी गारंटी 12 माह से लेकर लगभग दो साल तक की होती है। अधिकांश ई-रिक्शा चालक कालातीत बैटरी का उपयोग भी कर रहे हैं जो बाद में इसे बदलने भी आते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बैटरी फटने की वजह चार्जिंग की जानकारी का अभाव भी होता है। शहर में ज्यादातर ई-रिक्शा चालक रात में बैटरी को चार्ज के लिए लगा देते हैं और सुबह सवारी ढोना शुरू कर देते हैं।
बैटरी चार्जर पर भी ध्यान नहीं देते। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसमें 14 से 15 वाट क्षमता से चार्ज होने वाली बैटरी चार्जर खराब होने के बाद 17 से 18 वाट क्षमता से चार्ज करते हैं। जिससे बैटरी में हीट पैदा होती है और ये ब्लास्ट का कारण बन सकती है। शहर में 10 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, सवारी बैठाने के चक्कर में कहीं भी खड़े हो जाते हैं। जिससे यातायात व्यवस्था भी ध्वस्त हो रही है। रिक्शा के पहिये छोटे होने से गड्ढों में अक्सर इनके पलटने की संभावना बनी रहती है, इसलिए ज्यादातर ई-रिक्शा सड़क के बीच में चलते हैं।
ई-रिक्शा में उपयोग की जाने वाली बैटरी का बेहतर प्रबंधन और रखरखाव करना आवश्यक है। परंतु अधिकांश ई-रिक्शा चालकों को इसकी समझ नहीं है। खराब चार्जर, ओवर चार्जिंग, डिस्टिल्ड वाटर का गलत चयन जैसे कई तकनीकी कारण विस्फोट का कारण बन सकते हैं। -इश्तियाक खान, बैटरी एक्सपर्ट
ई-रिक्शा के बेहतर संचालन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ई-रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा सहित बैटरी के रखरखाव बेहतर तरीके से करने की समझाइश भी दी जाएगी। -संतोष शुक्ला, डीएसपी यातायात
ई-रिक्शा के अक्सर पलटने, दुर्घटना ग्रस्त होने के मामलों को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर दीपक सक्सेना ने ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत ई-रिक्शा को स्कूली बच्चों के परिवहन लायक नहीं मानते हुए यह प्रतिबंध लगाया था। परंतु क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय और यातायात पुलिस की उदासीनता के कारण अब भी स्कूली बच्चों को ला और ले जा रहे हैं।