जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सौभाग्य योजना में ठेकेदारों से वसूली कर रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर जहां भी काम नहीं मिला है अथवा काम में गड़बड़ी मिली है उस आधार पर ठेकेदारों से वसूली की जा रही है। सात जिलों में करीब 44.26 करोड़ रुपये की ठेकेदारो पर वसूली निकाली गई है। अब इस राशि को पूर्व क्षेत्र कंपनी ने वसूलने के लिए नोटिस भी जारी किया है। बताया जाता है कि करीब 35 करोड़ रुपये की वसूली तो ठेकेदारो के बकाया बिल भुगतान से ही की जा रही है। शेष राशि बिजली कंपनी ठेकेदारों की सुरक्षा निधि एवं अन्य मद से लेने की तैयारी में है।
ज्ञात हो कि सौभाग्य योजना में मंडला, डिंडौरी, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और सतना जिले में इस योजना के तहत भारी भ्रष्टाचार हुआ। अकेले डिंडौरी में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठेकेदारों से लेनदारी निकाली जा चुकी है। इस संबंध में नोटिस भी जारी हुए है। विभाग ने सभी वसूली की राशि कंपनी स्तर पर हुई जांच के आधार पर निकाली है।
कैसे हुए बकाया निर्धारण: बिजली कंपनी के ग्रामीण विद्युतीकरण के महाप्रबंधक अशोक धुर्वे ने बताया कि जांच टीम ने निरीक्षण में पाया कि वर्क आर्डर के मुताबिक मैदानी काम नहीं हुआ। जो उपकरण लगाए जाने थे वो लगाएं ही नहीं। लाइन खींचे बिना ही कागजों में काम होना बताया गया।ट्रांसफार्मर लगे नहीं लेकिन संख्या ज्यादा बता दी गई। ऐसे तमाम काम का भुगतान भी ठेकेदारों तक पेश किया गया। इसमें कुछ को भुगतान हो गया। अब कंपनी उस राशि की वसूली के लिए ठेकेदारों का नोटिस जारी कर रही है। करीब 88 ठेकेदार है जिनसे यह राशि वसूलनी है। 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब मांगा गया है। कंपनी के अधिकारियों की माने तो 35 करोड़ रुपये ठेकेदारों के भुगतान वाली राशि में समायोजित किया जाएगा। बाकी की राशि के लिए ठेकेदारों से ली जाएगी।
क्या है मामला: 2017 में सौभाग्य योजना प्रदेश में चली। पूर्व क्षेत्र कंपनी के 21 जिलों में इस योजना के तहत करीब 900 करोड़ रुपये का काम हुआ। दिसंबर 2018 तक इस योजना में सभी छूटे हुए गांव,मजरे टोलों को विद्युतीकृत करना था। जिन घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है उन्हें कनेक्शन पहुंचाना था। तेजी से कार्य के लिए कंपनी प्रबंधन ने अधीक्षण यंत्री को सीधे कार्य करने की छूट दी। जिसका फायदा कई जगह गलत तरीके से उठाया गया। सौभाग्य योजना में गड़बड़ी की शिकायत के बाद जांच हुई। कंपनी स्तर पर जांच में भ्रष्टाचार सामने आया। अभी तक इस योजना में छह इंजीनियर को बर्खाख्त किया जा चुका है। डिंडौरी छोड़कर कई जिलों में कंपनी की जांच अभी जारी है।
ठेकेदार बैठे धरने पर: सौभाग्य योजना में जांच होने के कारण पिछले तीन साल से ठेकेदारों का भुगतान अटका हुआ था। ऐसे में परेशान होकर मध्य भारत ठेकेदार संघ ने अनशन शुरू कर दिया। पिछले 30 दिन से अनशन जारी है। इस बीच अफसरों योजना में कुछ पैसा जारी किया है लेकिन विवादित जिले जहां गड़बड़ी की जांच हो रही है मध्य भारत ठेकेदार संघ के अध्यक्ष जनार्दन प्रताप सिंह दुबे का दावा है कि करीब 175 करोड़ रुपये का भुगतान होना है।