नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश में हत्या के मामले में सजा काट रही एक महिला को हाई कोर्ट ने राहत देते हुए जमानत दे दी लेकिन निजी मुचलके की राशि अधिक होने के कारण महिला उसका भुगतान नहीं कर पाई। लिहाजा उसे रिहाई आदेश के बाद भी साढ़े पांच साल जेल में बिताने पड़े।
यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने प्रकरण को गंभीरता से लिया। निजी मुचलके की राशि 70 हजार रुपये से घटाकर 10 हजार रुपये कर दी। राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अन्य ऐसे मामलों में भी 10 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने पर ही जेल से रिहा किया जाए।
बता दें कि नौ सितंबर, 2014 को अधीनस्थ न्यायालय ने जबलपुर निवासी विद्या बाई को उसके पति सुरेंद्र उपाध्याय की हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जिसके विरुद्ध अपील पर आठ जनवरी, 2020 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह मानते हुए सजा निलंबित कर दी थी कि अभियोजन पक्ष हत्या साबित करने के लिए पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया। कोर्ट ने आदेश दिया था कि उसे 70 हजार रुपये के निजी मुचलके और अधीनस्थ न्यायालय द्वारा लगाया गया जुर्माना दस हजार रुपये जमा करने पर जमानत पर रिहा किया जाए।
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महिला की आर्थिक दशा ठीक नहीं है। वह किसी तरह जुर्माना राशि दस हजार रुपये ही जमा कर सकी। निजी मुचलके की राशि नहीं जुटा पाई। इसी वजह से जेल से बाहर नहीं निकल पा रही थी। हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि महिला ने जुर्माने की राशि जमा कर दी है, लेकिन निजी मुचलका राशि जमा करने में असमर्थ है, इसलिए हाई कोर्ट ने आठ जनवरी, 2020 के अपने आदेश में संशोधन करते हुए निजी मुचलके की राशि घटाकर 10 हजार रुपये कर दी। अब महिला इन रुपयों का इंतजाम कर जेल से बाहर आ सकेगी।