जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में डीजल लोको शेड, इटारसी में शेड कर्मचारियों के लिए प्राणायाम के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई। डेढ़ घंटे तक चले इस संगोष्ठी कार्यक्रम में 40 कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने भाग लिया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर (डीजल) अजय कुमार ताम्रकार ने शरीर की तुलना लोको से करते हुए बताया कि जिस तरह लोको को मात्र बाहर से धूल देने या पेंटिंग कर देने से लोको की विश्वसनीयता नहीं बनती बल्कि नियमित अनुरक्षण ज़रूरी है। उसी तरह रोज़ मात्र स्नान और दिनचर्या के कार्य करने से शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता, बल्कि अनुसूची के रूप में योग आवश्यक है। अतः योग को शरीर के लिए वैज्ञानिक रूप से देखना आवश्यक है ताकि हम सही तरीक़े से अभ्यास कर सकें।
प्राणायाम की बारीकियां बताई: श्री ताम्रकार ने वीडियो के माध्यम से कर्मचारियों को प्राणायाम जैसे कपालभाति, सूर्य भेदन, भस्त्रिका, उज्जयी, सितकारी, शीतली, के विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए उनकी सही विधि, बारीकियाँ एवं सावधानियां बताईं ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। बताया कि प्राणायाम का उद्देश्य श्वास पर नियंत्रण होता है जो अंतर्गत शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि फेफड़ों में कार्बन डाइऑक्साइड वहन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि हम कम श्वास लेकर भी स्वस्थ जीवन जी सकें। मुख्य लोको निरीक्षक एस के गुप्ता ने कार्यक्रम को दोहराने के लिए अनुरोध किया एवं बताया कि योग को लापरवाही पूर्वक नहीं करना चाहिए।
वरिष्ठ खंड अभियंता राधाकृष्णन पिल्लै ने बताया कि दो-तीन प्राणायाम से शुरुआत करनी चाहिए जो सही तरीक़े से बने। मंडल याँत्रिक इंजीनियर (डीजल) पुरुषोत्तम मीना ने श्री ताम्रकार द्वारा बताए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए बताया कि हम योग के वैज्ञानिक पहलू को जानकर योग के बारे में अधिक समझ सकते हैं एवं शरीर की क्षमता अनुसार चयन कर नियमबद्ध तरीके से और नियमित रूप से करने में ही लाभ मिल सकता है।