चाय-पान की गुमठियों से लेकर बड़े शोरूम तक बढ़ रहा डिजिटल पेमेंट का चलन, पढ़ें फायदे ज्यादा या नुकसान कम
मध्य प्रदेश के जबलपुर चेम्बर आफ कामर्स से जुड़े जानकारों का भी मानना है कि बीते कोरोना काल के बाद लोगों का रुझान कैशलेस पेमेंट की तरफ तेजी से बढ़ा है। पहले लगभग 30 प्रतिशत होते थे, यह आंकड़ा 70 प्रतिशत तक पहुंच गया। जिले में प्रतिमाह करीब पांच हजार से सात हजार करोड़ का आनलाइन व्यापार और कैश लैस पेमेंट किए जाने का अनुमान है।
Publish Date: Mon, 25 Nov 2024 10:21:30 AM (IST)
Updated Date: Tue, 26 Nov 2024 07:22:13 AM (IST)
छोटी-छोटी डिजिटल पेमेंट यूपीआइ माध्यम से की जा रही है : नईदुनिया (सांकेतिक चित्र)।HighLights
- चाय-पान की गुमठियों से लेकर बड़े शोरूम तक बढ़ रहा डिजिटल पेमेंट का चलन।
- जबलपुर में हर माह छह से सात हजार करोड़ के डिजिटल लेन-देन का अनुमान।
- पहले लगभग 30 प्रतिशत होते थे, यह आंकड़ा अब 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
नईदुनिया, जबलपुर (Jabalpur News)। डिजिटल इंडिया का सपना धीरे-धीरे साकार हो रहा है। चाय-पान की गुमटियों, रेहड़ी वालों से लेकर बड़े शोरूम तक में डिजिटल पेमेंट की सुविधा होने से इसकी गति बढ़ी है। सबसे ज्यादा संख्या यूपीआइ ट्रांजेक्शन की है। लगभग 60 से 70 प्रतिशत छोटी-छोटी डिजिटल पेमेंट यूपीआइ माध्यम से की जा रही है। 20 हजार रुपये से नीचे पेमेंट डिजिटल रूप से हो रहे हैं। इससे ऊपर के पेमेंट का भी आनलाइन किए जा रहे हैं।
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वर्ष 2019 से डिजिटल तकनीकी की तरफ बढ़े कदम
नवंबर 2016 में देश में हुई नोटबंदी के बाद लोगों ने खुद को डिजिटल पेमेंट पर शिफ्ट करना शुरू किया वहीं 2019 में कोरोनाकाल कैश लैस लेन-देन ने गति पकड़ ली। सरकार ने भी प्रदेश में आनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ाने के लिए मोबाइल बैंकिंग, यूपीआइ, इंटरनेट बैंकिंग और डेबिट कार्ड को प्रोत्साहित किया।
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दुकान ने यूपीआइ पेमेंट स्वीकार किया तो, रुझान बढ़ा
हर छोटी-बड़ी दुकान ने यूपीआइ पेमेंट स्वीकार किया तो, रुझान बढ़ा। युवाओं में कैशलैस पेमेंट का रूझान तेजी से बढ़ा। वर्तमान में बाजार में हर वर्ग के लोग डिजिटल पेमेंट करते देखे जा रहे हैं। हालांकि इसके फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी है।
फायदे के साथ कुछ नुकसान भी ...
- डिजिटल पेमेंट से छोटी-छोटी खरीदी में चिल्लर की समस्या से भी छुटकारा मिल गया है।
- 20 हजार से कम के पेमेंट यूपीआइ माध्यम से करने से कैश रखने का जोखिम भी कम हुआ।
- व्यापारी भी पूरी तरह से डिजिटल मोड में हैं छोटे व फुटकर व्यापारियों को भी सहूलियत।
- व्यापारियों को भी कटे-फटे, नकली नोटों की झंझट से मुक्ति मिल गई है और ग्राहक भी खुश।
- वहीं कई बार डिजिटल तकनीक से लेन-देन के कारण कई बार पेमेंट अटकने से परेशानी भी।
- कई बार मोबाइल बैकिंग से भी गलत ट्रांजेक्शन हो जाता है, मिलता है, लेकिन दिक्कत के बाद।
पीएम स्वनिधि योजना भी कैश लैस लेन-देन में हुई मददगार
स्ट्रीट वेंडरो को लोन देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना भी फुटकर विक्रेताओं को डिजिटल लेनदेन जोड़ने में मददगार साबित हुई है। नगर निगम ने फुटकर विक्रेताओं को 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक का लोन दिलाया।
जबलपुर में ही करीब चार स्ट्रीट वेंडर कैशलैस लेन-देन कर रहे
मोबाइल एप डाउनलोड करवा कर डिटिल लेनदेन को प्रोत्साहित किया। डिजिटल भुगतान करने पर वेंडरो को बतौर इनाम कैश बेक भी दिया। नतीजा ये हुआ कि वर्तमान में जबलपुर में ही करीब चार स्ट्रीट वेंडर कैशलैस लेन-देन कर रहे हैं।
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