
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने दैनिक वेतन भोगियों (दैवेभो) के हक में राहतकारी आदेश पारित किया। कोर्ट ने सौ से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कहा कि दैवेभो ने 15 वर्ष से अधिक सेवा दी है, जिसे पेंशन में जोड़ा जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने भले ही इन कर्मचारियों को दैनिक वेतनभोगी माना हो, लेकिन यदि उन्हें मासिक भुगतान मिलता रहा है, तो उनकी सेवा को अस्थाई आकस्मिक वेतनभोगी माना जाएगा। 15 वर्ष पूरे होने के बाद यह सेवा स्थाई आकस्मिक वेतनभोगी में बदल जाएगी, लेकिन यह लाभ केवल पेंशन के लिए मान्य होगा।
उक्त प्रकरण दमोह के जल संसाधन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे राम विशाल पटेरिया सहित अन्य की ओर से दायर किए गए थे।
आवेदक राम विशाल पटेरिया ने कहा था कि वह पांच फरवरी 1978 से दैनिक वेतन भोगी के रूप में जल संसाधन विभाग में काम कर रहे हैं, जिस पर पेंशन का लाभ दिलाए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यह आदेश सिर्फ पेंशन के मुद्दे के लिए है। वेतन, प्रमोशन या सीनियरिटी जैसे मुद्दे को लेकर इस फैसले का उपयोग नहीं हो सकेगा। न्यायालय ने उक्त आदेश का पालन करने राज्य सरकार को 60 दिन का समय दिया है।