
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष गुरुवार को मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई शुरू होते ही कुछ देर याचिकाकर्ताओं की ओर से विभिन्न विभागों में आरक्षण और पदों की संख्या को लेकर कुछ डाटा प्रस्तुत किया गया। इसके बाद सरकार ने अपनी दलीलें पूरी की। इन दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को नियत कर दी।
राज्य शासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि नियम बनाने के पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पूरी एक्सरसाइज की गई है। नियम बनाते समय क्वांटिफायबल डाटा का परीक्षण किया गया था। इसके अलावा कर्मचारियों की प्रशासनिक क्षमता का आंकलन भी किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप कमेटी गठित कर कैडरवाइस डाटा का परीक्षण करने के बाद पदों को आरक्षित किया गया है।
राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत उक्त तर्कों पर याचिकाकर्ताओं के आरोपों की रोशनी में हाई कोर्ट ने सवाल खड़े किए। जिसके अनुरूप वरिष्ठ अधिवक्ता वैद्यनाथन वस्तुस्थिति स्पष्ट करते चले गए। राज्य शासन का पक्ष रखने वालों में मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह, नीलेश यादव, जान्हवी पंडित, धीरेंद्र सिंह परमार व मृणाल एल्कर मजूमदार स्थायी अधिवक्ता भी शामिल रहे।
राज्य शासन की दलीलों के पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व का डाटा पेश किया गया। इसमें यह दावा किया गया है कि आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अधिक प्रमोशन दिए गए हैं, जिस कारण एससी व एसटी वर्ग के कर्मचारी ऊंचे पदों पर पदस्थ हैं। वहीं अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को कम या देरी प्रमोशन दिए गए, जिनके नाम ग्रेडेशन लिस्ट नीचे हैं।
दरअसल, राजधानी भोपाल निवासी डा. स्वाति तिवारी सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 को चुनौती दी गई है। दलील दी गई कि वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट के द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है। इसके विरुद्ध मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी लंबित है, इसके बावजूद मप्र शासन ने महज नाम मात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर जस के तस नियम बना दिए।