नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश शासन को यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण से निकली राख की विशेषज्ञों द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को यह भी कहा है कि राख के विनिष्टीकरण के लिए अन्य कोई ऐसा सुरक्षित स्थान भी तलाशें जहां रहवास नहीं हो। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक सरकार को इस संबंध में भी अपना पक्ष रखने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण की मांग करते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जनहित याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाई कोर्ट मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में कर रही थी।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण सफलतापूर्वक पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में कर दिया गया है। जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुआ है।
एमपीपीसीबी से सीटीओ मिलने के बाद अलग लैंडफिल सेल में उसे नष्ट किया जाएगा। इस दौरान हाई कोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ सक्रिय हैं, जो चिंता का विषय है।
रखा में मरकरी है, जिसे नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जपान व जर्मनी के पास है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता खालिद नूर फखरुद्दीन ने पैरवी की।