
जबलपुर। वातावरण में रंगों के महापर्व होली की मस्ती छाने लगी है। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होलिका दहन रविवार रात को होगा। फागुन की मस्ती में रंगकर लोग होली का पर्व मनाएंगे।इस बार 700 वर्ष बाद होलिका दहन नौ शुभयोगों के संयोग में होगा। रात 10.50 तक भद्रा नक्षत्र रहने के चलते होलिका दहन के लिए इस वर्ष महज एक घंटे 32 मिनट तक ही शुभ मुहूर्त है।
होलिका दहन के लिए शहर के कोने कोने में शनिवार को तैयारियां पूरी कर ली गईं। गली, मोहल्ले, चौराहों पर होलिका की प्रतिमाएं स्थापित करने का क्रम शनिवार से ही शुरू हो गया। रविवार को धूमधाम के साथ शुभमुहूर्त में होलिका का दहन कर बुराई के अंत का जश्न मनाया जाएगा। इसी के साथ पांच दिवसीय पर्व का शुभारंभ होगा। इसके पहले दिन सोमवार को धुरेड़ी पर रंग खेला जाएगा।
भद्रा के बाद है मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार 24 मार्च की सुबह 9.47 बजे से भद्रा नक्षत्र लग जाएगा। यह रात्रि 10.50 बजे तक रहेगा। भद्रामुक्त होलिका दहन श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस बार भद्रा नक्षत्र के बाद रात 10.50 से 12.22 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए श्रेष्ठ है।
होलिका दहन पर दुर्लभ संयोग
होलिका दहन के दिन लक्ष्मी, सर्वार्थ सिद्धि, शश महापुरुष, वरिष्ठ, पर्वत,उभयचरी, अमला, सरल और केदार योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शुभ योगों का अद्भुत संयोग लगभग 700 सालों के बाद बना है ।
गोबर, लकड़ियों की जलेगी होली
होली के दिन शुभमुहूर्त पर गोबर के उपलों या लकड़ियों से जगह-जगह होली जलाई जाएगी। जलती हुई होली के चारों ओर लोग परिक्रमा करेंगे। अपने और परिवार के लिए मनौतियाँ मांगेंगे। होलिका दहन के दिन जलती होली में गेहूँ की बाली को भूनकर खाने की परम्परा भी निभाई जाएगी। होली की राख का तिलक लगाकर होलिकोत्सव की शुरुआत होगी। होलिका दहन के अगले दिन रंगोत्सव पर लोगों द्वारा एक-दूसरे को तिलक लगाकर पर्व की शुभकामनाएं दी जाएंगी।
इस बार है विशेष उल्लास
इस बार होली पर्व पर युवाओं और बच्चों में विशेष हर्षोल्लास है। पर्व पर शहर के गली-मोहल्लों में होलिका-प्रहलाद की बड़ी एवं छोटी प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं। इस वर्ष युवाओं व बच्चों में जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है। इसके चलते हर आयु वर्ग के लोगों ने होली मनाने के लिए विशेष तैयारियां की हैं।