सैकड़ों बंदर इस गांव के अंदर
जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जिले की पनागर तहसील के ग्राम पिपरिया में रहने वाले सैकड़ों ग्रामीण इन दिनों बंदरों से परेशान है। बंदरों की दहशत ऐसी है कि ग्रामीण अपने घरों से नहीं निकलते। ...और अगर निकलते हैं तो अपने हाथों में लाठी लेकर।
ग्रामीणों के चाहे घर का समान हो या फिर खेत की फसल हर जगह शरारती बंदरों की मौजूदगी रहती है। गांव में अब तो आलम यह है कि दिन में सड़कें सूनी हों जाती है। पिपरिया गांव ने रहने वाले सुखराम का कहना है कि बंदरों ने पूरे गांव का जीना मुश्किल कर दिया है। ये बंदर कई महिलाओं और बच्चों पर हमला कर चुके हैं। अगर किसी को अपने घर की छत पर जाना हो तब भी उसे अकेले और खाली हाथ जाने में डर लगता है। ग्रामीण बताते है कि बंदरों की संख्या सौ से ज्यादा है, जो छोटी-छोटी टोलियों में गांव के हर घर की टोह लेते फिरते हैं। गांव वालों का कहना है कि पिपरिया गांव में अधिकतर मकान कच्चे व खपरैल हैं। इन मकानों के खप्पर बंदर आए दिन तोड़ते रहते हैं। खप्पर टूटकर सिर पर गिरने का भी खतरा हमेशा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर छत पर कपड़े सूखने के लिए डाले जाते हैं तो बंदर उनको फाड़ डालते है। खेत में अगर फसल बोएं तो इन पर ध्यान रखना पड़ता है कि कहीं वो फसल को तहस-नहस न कर दें।
दो साल से है परेशानी
पिपरिया गांव में बीते दो साल से बंदरों की धमाचौकड़ी जारी है। दर्जन भर से ज्यादा लोगों को ये बंदर काट चुके है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी इस समस्या से तहसीलदार, एसडीएम और वन विभाग के अफसरों को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्याएं जस की तस हैं। इस संबंध में एसडीएम पीके सेनगुप्ता का कहना है, कि उनकी संज्ञान में यह समस्या पहली बार लाई गई है। वो तहसीलदार और संबंधित पटवारी से इस बारे में चर्चा कर कोई रास्ता खोजने का प्रयास करेंगे।