नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर: हमारे कानून में बुजुर्गों को कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में बुजुर्ग इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं। सामान्यत: हम मानकर चलते हैं कि बुजुर्ग माता-पिता संतान के खिलाफ भरण पोषण का वाद दायर नहीं कर सकते, लेकिन ऐसा नहीं है। कानूनन प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार होता है। बच्चे माता-पिता की देखभाल नहीं कर रहे हैं तो माता-पिता उनके खिलाफ न्यायालय में प्रकरण दर्ज करवा सकते हैं।
यदि बच्चे देखभाल नहीं कर रहे हैं, तो बुजुर्ग माता-पिता वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण कल्याण अधिनियम के तहत एसडीएम न्यायालय में प्रकरण दर्ज करा सकते हैं। न्यायालय अधिकतम दस हजार रुपये तक भरण पोषण देने का आदेश संतान को दे सकता है। बुजुर्गों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निश्शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करे का अधिकार भी होता है।
बता दें कि माता-पिता को वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण अधिनियम की धारा 24 में भरण पोषण दिलाए जाने का प्रविधान किया गया है। इसके लिए संबंधित एसडीएम न्यायालय में आवेदन देना होता है। न्यायालय प्रकरण की परिस्थितियों के अनुसार संतान को आदेश दे सकता है कि वे एक निश्चित राशि भरण पोषण के रूप में माता-पिता को हर माह दें।
न्यायालय के आदेश के बावजूद अगर संतान भरण पोषण की राशि का भुगतान नहीं करती है तो उन्हें सजा भी हो सकती है। एक माह का भरण पोषण नहीं देने पर 30 दिन जेल की सजा का प्रविधान है। समय के साथ आपको एसडीएम न्यायालय द्वारा निर्धारित भरण पोषण की राशि बढ़वाने का अधिकार भी होता है। इसके लिए आपको कलेक्टर के समक्ष आवेदन देना है। न्यायालय बढ़ती महंगाई का आंकलन करने के बाद भरण पोषण की राशि बढ़ाने का आदेश दे सकता है।
सामान्यत: यह माना जाता है कि सिर्फ पत्नी को पति से भरण पोषण पाने का अधिकार होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। माता-पिता भी भरण पोषण के भारतीय न्याय संहिता की धारा 144 के तहत प्रकरण दायर कर सकते हैं। धारा 144 के तहत जिला न्यायायल में प्रकरण दायर करने के बाद न्यायालय संतान की आय और उसके दायित्वों के हिसाब से भरण पोषण की राशि तय कर सकता है।
यह भी पढ़ें: लकड़ी समझ कर पास पहुंचे ग्रामीण, निकला 10 फीट का विशाल मगरमच्छ
परिस्थितियों में बदलाव के हिसाब से भरण पोषण की राशि बदल सकती है
अगर माता-पिता को लगता है कि समय के साथ संतान की तरक्की हुई है और उन्हें पहले के मुकाबले भरण पोषण के लिए अधिक राशि की आवश्यकता है तो वे भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 के तहत भरण पोषण की राशि में बदलाव के लिए आवेदन कर सकते हैं। न्यायालय परिस्थितियों में बदलाव के हिसाब से माता-पिता के भरण पोषण की राशि में बदलाव कर सकता है।