MP High Court : जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। हाई कोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने फर्जी दस्तावेज बनाकर न्यायाधीश को डाक के माध्यम से भेजने के मामले में दो आरोपितों को सशर्त जमानत दे दी। हालांकि कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि निस्संदेह, आवेदकों द्वारा किया गया कृत्य वास्तव में गंभीर और अक्षम्य है। न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की एकलपीठ ने कहा कि मुख्य आरोपित की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान आवेदकों का यह पहला अपराध है और वे पिछले 15 माह से जेल में बंद है, इसलिए कुछ शर्तों के साथ जमानत दी जा रही है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित जमानत पर रहते हुए समान अपराध नहीं करेंगे। यदि आरोपित जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर या प्रदेश की किसी भी अदालत परिसर में कोई अपराध करते हैं, तो जमानत स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत परिसर में कोई वादी, गवाह, न्यायाधीश या रजिस्ट्री का कोई अधिकारी आरोपितों के विरुद्ध आपराधिक गतिविधियों के संबंध में कोई शिकायत करते हैं, तो भी जमानत स्वत: निरस्त हो जाएगी।
अभियोजन की ओर से बताया गया कि आरोपित राजा उर्फ राजवन चौधरी और अधिवक्ता ओंकार पटेल ने मुख्य आरोपित स्व अनुराग साहू व अन्य के साथ मिलकर न्यायाधीश को बदनाम करने और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जाली दस्तावेज तैयार कर जज के नाम पोस्ट किया। आरोपितों ने मनगढ़ंत दस्तावेज तैयार कर शिकायतकर्ता के नाम पर हस्ताक्षर किए और जज के नाम पोस्ट कर दिया। सीसीटीवी फुटेज भी यह आरोप साबित हो गए हैं।
आरोपितों की ओर से अधिवक्ता रवींद्र कुमार गुप्ता ने दलील दी कि मुख्य आरोपित की मृत्यु हो चुकी है। मामले के एक अन्य आरोपित को पूर्व में हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, ट्रायल में अभी समय लगेगा, इसलिए जमानत दी जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए दोनों आरोपितों को ट्रायल कोर्ट में प्रत्येक निर्धारित तारीख पर उपस्थिति के निर्देश दिए। शासन की ओर शासकीय अधिवक्ता गीतेश सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा।
विगत वर्ष जबलपुर के अधिवक्ता अनुराग साहू द्वारा आत्महत्या करने के बाद शव लेकर हाई कोर्ट परिसर में हंगामा कर दिया गया था। कुछ आक्रोशित वकील कोर्ट भवन के ऊपर भी चढ़ गए थे। शिकायत मिलने पर पुलिस पहुंची और स्थिति नियंत्रित की थी। जिसके बाद सीसीटीवी फुटेज के आधार पर प्रकरण दर्ज किए गए। इस प्रकरण के पूर्व आरोपितों ने हाई कोर्ट जज के नाम एक पत्र पोस्ट किया था, वह फर्जी दस्तावेज होने के कारण मामले को गंभीरता से लेकर मामला पंजीबद्ध किया गया।