जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। स्वतंत्रता की राह आसान नहीं थी। न जाने कितने आंदोलन हुए, बलिदान दिए गए। तब जाकर प्राप्त हुई है स्वतंत्रता। इन्हीं आंदोलनों में से एक था भारत छोडो आंदोलन। इस आंदोलन ने भारत में अंग्रेजों की बुनियाद हिला कर रख दी थी। खास बात यह है कि शहर में भी भारत छोडो आंदोलन या अगस्त क्रांति की गूंज उठी थी। जिसमें 16 वर्षीय गुलाब सिंह ने अपने प्राणों की आहूति देकर अगस्त क्रांति की पहली शहादत दी।
इतिहासकारों से मिली जानकारी के अनुसार गुलाब सिंह स्वतंत्रता प्राप्ति की राह के ऐसे वीर हैं जिनका जिक्र 1968 में मप्र से प्रकाशित गजेटियर तक में नहीं किया गया। जबकि शहर के इस वीर ने मात्र 16 वर्ष की आयु में बलिदान दिया। स्वतंत्रता दिवस से पूर्व नईदुनिया द्वारा अगस्त क्रांति की शुरुआत के दिन 9 अगस्त पर शहर के ऐसे ही बहादुर गुलाब सिंह के बलिदान की गाथा को अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
इतिहासविद डॉ. आनंद सिंह राणा ने बताया कि भारत छोडो आंदोलन का प्रस्ताव 8 अगस्त, 1942 की शाम को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में हुए अधिवेशन में ही पास किया था। उस वक्त जबलपुर में भी आंदोलन व्यापक स्तर तक पहुंचा। शहर में बडी संख्या में गिरफ्तारियां हुईं।
10 अगस्त को फुहारे पर अपार जन समूह एकत्रित हुए। कमानिया गेट के आस—पास के रास्ते ठसाठस भरे हुए थे। घमंडी चौक से गुलाब सिंह पटेल के नेतृत्व में विद्यार्थियों का जुलूस पुलिस की घेराबंदी तोडकर आगे बढा। गुलाब सिंह ने जुलूस को इशारे से रोका और पिफर वंदे मातरम का उद्घोष किया। इसके बाद तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट देव बक्श सिंह के इशारे पर एक पुलिसमैन ने गुलाब सिंह को लक्ष्य करके गोली चलाई। जो कि उनके सिर पर जाकर लगी। जब उन्हें विक्टोरिया अस्पताल ले जाया जाने लगा तब उन्होंने कहा कि कमानिया गेट पर झंडा फहराकर मुझे सूचित करना। इसके बाद जैन ब्वॉयज स्काउट्स एसोसिएशन के विद्यार्थियों के सहयोग से कमानिया गेट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। 14 अगस्त को गुलाब सिंह ने प्राण त्याग दिए। गुलाब सिंह का जन्म 14 अगस्त को ही हुआ था और मृत्यु भी 14 अगस्त के दिन ही हुई।
इस क्रांति में शहर में तिलक भूमि की तलैया अहिंसक युद्ध का राष्ट्रीय स्थल था। आंदोलन की शुरुआत होते ही कंाग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया थाा। जिसका असर जबलपुर में भी देखने मिला। यहां नगर कांग्रेस के अध्यक्ष भवानी प्रसाद मिश्र, कुंजीलाल दुबे, नरिंसह दास अग्रवाल, नर्मदा प्रसाद मिश्र, शुभचंद जैन, सुभद्रा कुमारी चौहान, सवाईमल जैन,ब्योहार राजेंद्र सिंह व अन्य लोगों को भी बंदी बना लिया गया था। इस आंदोलन ने पूरे देश को एकजुट कर दिया।