सुनील दाहिया, जबलपुर नईदुनिया। बरगी हिल्स स्थित आइटी पार्क एवं इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (आइटी पार्क) निवेशकों की पहली पसंद बन चुका है। इसके साथ ही जबलपुर जहां आइटी हब बनकर उभर रहा है वहीं रोजगार को भी पंख लग रहे हैं। सड़क से लेकर रेल और वायु मार्ग से सीधा संपर्क जुड़ने के कारण अब निवेशक आइटी पार्क में निवेश करने में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। परिवहन की बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से यहां कच्चे माल को लाने और तैयार माल को बाहर भेजने की तमाम सुविधा मौजूद है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 83 एकड़ में फैले आइटी पार्क के पहले चरण में से 63 एकड़ में भूमि आवंटित हो चुकी थी वहीं दूसरे चरण के लिए भी भूमि आवंटित की जा चुकी है। 115 कंपनियां जहां निवेश कर चुकी है वहीं 28 कंपनियों ने आइटी और इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग का उत्पादन शुरू कर दिया है। इनमें 79 इलेक्ट्रानिक कंपनियां शेष आइटी से संबंधित है। इससे करीब प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार से ज्यादा ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। आइटी और मेन्युफैक्चरिंग कंपनियों की आमदगी बढ़ रही है, वहीं आसपास के क्षेत्रों में धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां भी तेज हो रही हैं।
इन कंपनियों ने शुरू किया काम : आइटी पार्क में आइडिया सेल्युलर लिमिटेड का डाटा सेंटर, मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, एसिस्ट क्लिक और पेटीएम काल सेंटर (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) चला रही है। आइटी व इलेक्ट्रानिक कंपनियां कंप्यूटर, केबल, डेटा केबल, सोलर लाइट, चार्जर, सीसीटीवी कैमरे, बिजली बल्ब का निर्माण शुरू कर दिया है। इसके अलावा अन्य आइटी व इलेक्ट्रानिक सामग्री का उत्पादन शुरू कर दिया है। अन्य बड़ी कंपनियां भी यहां अवसर तलाश रही हैं।
उत्पादों की विदेशों में बढ़ी मांग : आइटी पार्क की कंपनियों के उत्पाद अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों के मुकाबले सस्ते और गुणवत्तायुक्त होने की वजह से न केवल देश बल्कि विदेश में भी निर्यात किए जा रहे हैं। कंट्रोल पैनल और इलेक्ट्रिक उत्पादों को श्रीलंका और मलेशिया तथा एनोड इलेक्ट्रिकल कंपनी को नेपाल इलेक्ट्रिसिटी की ओर से इलेक्ट्रिक वायर का बड़ा आर्डर मिलना भी बताया जा रहा है।
250 करोड़ रुपये का निवेश : आइटी पार्क प्रबंधक अजय मलिक ने बताया कि पूरा प्रोजेक्ट करीब 115 करोड़ रूपये का है। जिसमें करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। राज्य सरकार की आइटी फ्रेंडली नीतियों से प्रभावित निवेशकों में जबलपुर के आइटी पार्क में कारोबार जमाने के लिए आगे आ रही है। अब तक 28 निवेशकों ने आइटी बेस्ड व इलेक्ट्रानिक बेस्ट उत्पादन शुरू कर दिया है। इसमें 16 कंपनियों इलेक्ट्रानिक आयटम का निर्माण व उत्पादन कर रही है वहीं आठ से 10 कंपनियों उत्पादन शुरू करने की तैयारी में हैं। चार से पांच कंपनियां आइटी बेस्ड प्रोडक्शन कर रही है। बाकी कंपनियां अधोसंरचना विकास में लगी हैं। इसमें 79 कंपनिया इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग से जुड़ी होगी।
जमीन की बढ़ी कीमत : आइटी पार्क में निवेश करने की मची होड़ के कारण जमीन की कीमत भी बढ़ गई है। जबलपुर आइटी एंड इलेक्ट्रानिक्स इंडस्ट्री एसोसिएशन के संरक्षक डीआर जेसवानी ने बताया कि आइटी पार्क में निवेश करने कंपनियां कतार में हैं। यहां कंपनियां स्थापित करने के लिए यहां भूखंडों की कीमत पहले 86 रुपये प्रतिवर्ग फुट थी जो कंपनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा में बढ़कर 300 रुपये तक पहुंच गई है। लिहाजा पार्क में भू-खंडों का आवंटन टेंडर प्रक्रिया से किया जा रहा है। अब तक 115 कंपनियों को भूमि का आवंटन किया जा चुका है। जबकि चार से पांच आइटी कंपनियां किरायेनामा पर संचालित हो रही है। पार्क के तेजी से विकसित हो रहे स्वरूप को देखते हुए पार्क के आसपास के रामपुर, तिलवारा, सगड़ा, बाजना मठ, लम्हेटा आदि क्षेत्रों में बड़ी तेजी से व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं। इससे यहां छोटे-बड़े होटल के संचालन सहित किराये पर मकान देने से लोगों की माली हालत में सुधार हुआ है। साथ ही रोजगार के अन्य अवसर भी सृजित हुए हैं।
आइटी हब बना जबलपुर : व्यापारिक व औद्योगिक संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि जबलपुर आइटी हब बनने के रास्ते पर चल पड़ा है। आने वाले दिनों में 140 से अधिक आइटी और इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा एक साथ कार्य शुरू होना संभावित है। इन कंपनियों द्वारा कम्प्यूटर, मोबाइल, सोलर लाइट आदि के निर्माण और उत्पादन गतिविधियों से 12 से 15 हजार और लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। निवेशकों के नजरिये से जबलपुर के आइटी पार्क में निवेश करना और काम को गतिशीलता प्रदान करना किसी अन्य बड़े शहरों के आइटी पार्क के मुकाबले सरल और सुगम है।