अर्चना ठाकुर, जबलपुर। शहर में 27 फरवरी को सेना का अलंकरण समारोह आयोजित किया गया। इसमें आगरा ब्रिगेडियर शिवेन्द्र कुमार भट्टाचार्य जो आगरा में 509 आर्मी बेस वर्कशॉप में कमांडिंग एंड मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इन्हें भी अलंकरण समारोह में अवॉर्ड प्रदान किया गया। जबलपुर शहर से इनका पुराना रिश्ता है। इनके पिता इंडियन एयर फोर्स में थे और इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स के ऑफिस के सामने इनका घर है।
पिता पिछले 40 सालों से शहर में ही रह रहे थे। पिछले डेढ़ सालों से वे भी आगरा में रहने लगे। इनकी पत्नी ने भी जबलपुर शहर से अपनी स्कूल की पढ़ाई की है। ब्रिगेडियर शिवेन्द्र ने बताया कि काफी वक्त से जबलपुर के घर आने का मन था, लेकिन व्यस्तता के कारण यहां आना तय नहीं हो पाया। जैसे ही अवॉर्ड सेरेमनी जबलपुर में होने की बात सुनी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा परिवार शहर आने के लिए काफी उत्साहित हो गया। शहर आकर बहुत सुकून मिला और उससे भी ज्यादा गर्व हुआ कि जिस शहर में रहे वहीं पर अवॉर्ड मिला। ये मेरी खुशनसीबी है।
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र रहे हैं बिग्रेडियर शिवेन्द्र: ब्रिगेडियर शिवेन्द्र ने बताया कि उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा एयर फोर्स एकेडमी हैदराबाद से की है। इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने की डेट निकल गई थी, जिसके कारण पीसीएम में सेंट अलॉयसियस कॉलेज सदर में एडमिशन लिया और 1 साल तक यहीं पढ़ाई की। दूसरे साल में इंजीनियरिंग के लिए जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज मिल गया और यहां से मैकेनिकल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई। पत्नी अपर्णा भट्टाचार्य वैसे तो लखनऊ से हैं, लेकिन पिता की पोस्टिंग जबलपुर में होने के कारण उन्होंने कक्षा दूसरी से पांचवी तक क्राइस्ट चर्च गर्ल्स स्कूल में और छटवीं से ग्यारहवीं तक की शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय सीएमएम से पूरी की। इस तरह से दोनों ने ही शहर में अपना बचपन बिताया है। इस शहर से काफी सारी यादें जुड़ी हैं।
शहर को घूमने में बिताया एक दिन: ब्रिगेडियर शिवेन्द्र ने बताया कि शहर में काफी साल बाद आना हुआ। एक दिन की छुट्टी सिर्फ शहर को घूमने और पुरानी यादों को ताजा करने के लिए ही ली। अपने पुराने कॉलेज अलॉयसियस गया तो वो बंद मिला। उसके बाद जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज गए वहां पर भी कॉलेज बंद था। वहां के स्टाफ से रिक्वेस्ट की मुझे मैकेनिकल डिपार्टमेंट घूमा दो। तब उन्होंने मुझे कॉलेज घुमाया। वहां पर काफी सालों के बाद अपना डिपार्टमेंग देखा, नए लैब को देखा बहुत अच्छा लगा, लेकिन स्टाफ से मिलना मुमकिन नहीं हो पाया। वहां पहुंच कर ही पता चला की रविदास जयंती की छुट्टी है। पुराने लोगों से मिलना चाहता था, जिसके लिए मन था कि एक दिन की छुट्टी और मिल जाए, लेकिन नहीं मिल पाई। इसके बाद भेड़ाघाट गए। अपर्णा भट्टाचार्य ने बताया कि शहर की सड़कों में घूमने में मजा आ गया। सालों बाद यहां आकर शहर की बदली हुई तस्वीर आंखों में बस गई। एक दिन में जितना घूम सकते थे, घूमा और पुरानी यादें ताजा की। आगे एक रीयूनियन आयोजित करने का प्लान है जिसे जल्द किया जाएगा।