कॉलम- कह गए साहब-अतुल शुक्ला, जबलपुर नईदुनिया। मेहरबानी करने में सिर्फ नेता ही आगे नहीं होते, बल्कि रेलवे के साहब भी इसमें महारत रखते हैं। इन दिनों रेलवे जोन के एक साहब को ही देख लो। वो इन दिनों अपनी मेहरबानियों को लेकर खासे चर्चा में हैं। हां, पर उनकी ये मेहरबानियों किसी कर्मचारी या विभाग को लेकर नहीं है, बल्कि एक रेलवे स्टेशन को लेकर हैं। ये स्टेशन कोई ओर नहीं बल्कि रीवा है। रेलवे साहब की मेहरबानी ऐसी है कि जो ट्रेनें जबलपुर से शुरू नहीं हो सकीं, वो रीवा स्टेशन से दौड़ने लगी हैं। साहब की रीवा के नेताओं से ऐसी जुगलबंदी है कि उनकी हर मांग को पूरा करने साहब खुद जिम्मेदारी ले लेते हैं। अब यह मेहरबानी ही तो है कि पहले यहां से मुंबई तक स्पेशल ट्रेन दौड़ाई, उड़ना तक ट्रेन दौड़ाई जाएगी और तो और अब रीवा शटल में एसी कोच भी बढ़ा दिया है। मान गए साहब, आप की मेहरबानियों को।
साहब सिखाएं व्यवहार, टीटीई करें दुर्व्यवहार : इन दिनों मंडल के दो-तीन साहब, अपने कर्मचारियों को यात्रियों के साथ अच्छा व्यवहार करने का पाठ पढ़ा रहे हैं। साहबों ने भी इस पाठशाला में ज्ञान देने से पहले अपने ज्ञान के चक्षु भी खोले, फिर जाकर कर्मचारियों के ज्ञान के चक्षु खोलकर उन्हें अच्छा व्यवहार करने का सलीका सिखाया, लेकिन वो कहते हैं ना, आगे पाठ और पीछे सपाट। साहबों की इस मेहनत पर ट्रेन में तैनात एक टीटीई ने पानी फेरा दिया। बड़े साहब की पाठशाला में उसने जो कुछ पढ़ा और सीखा, वो ड्यूटी में आते ही भूल गया और उसने एक यात्री के साथ ऐसा व्यवहार किया, जिसे देखकर आस-पास खड़े लोग भी रेलवे की पाठशाला को बेमतलब बता रहे हैं। टीटीई साहब कई दिनों से अपने दुर्व्यवहार की वजह से वनवास में थे। वहां से आते ही उन्होंने फिर वनवास जाने की तैयारी कर ली है। बड़े साहब की पाठशाला में पानी फेरने का उन्हें जल्द ही उपहार मिलेगा।
फर्जी पत्र से बोर्ड बैठक, फाइलों में दबे आदेश : अभी तक हमने सायबर ठगी के बारे में पढ़ा और सुना है, लेकिन ठगी करने वालों को दायरा इतना बढ़ा है कि वो अब पत्रों से भी ठगी कर रहे है। ऐसा ही एक मामला जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि में सामने आया। न जाने कहां से फर्जी पत्र चला और विवि के प्रशासनिक साहब की टेबल पर जा पहुंचा। साहब ने पत्र पढ़ते ही बड़े साहबों की बैठक भोपाल में कर दी। सब कुछ अच्छा-अच्छा हो गया, लेकिन पत्र के फर्जी होने का पता चलते ही भोपाल से जबलपुर और विवि से थाने तक शिकायतों को दौर शुरू हुआ। इस फर्जी पत्र से नुकसान तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन बोर्ड की भोपाल में हुई बैठक में जो भी निर्णय हुए, वो अभी तक फाइलों से बाहर नहीं आ पाए हैं। इसकी वजह फर्जी पत्र से हुई बैठक है या कुछ और। यह प्रशासन के बड़े साहब ही बता पाएंगे। इधर फर्जी पत्र चलाने वाले की तलाश अभी भी जारी है।
क्या बात है, रीवा से जबलपुर आ गई मैडम : जुगाड़ कहें या जुगलबंदी, वेटरनरी कालेज में नई-नई पदस्थ हुई मैडम में दम तो है। पति की सिफारिश और पत्नी की मेहनत ऐसी रंग लाई कि आज दोनों ही साथ घर से एक ही दफ्तर जाते हैं और साथ ही घर लौटते हैं। अब इनका एक और नया किस्सा सामने आया है। सुना है कि विवि के फूफाजी ने इनकी सिफारिश में कुछ ऐसे चार चांद लगाए कि प्रोफेसर मैडम को रीवा फार्म की जिम्मेदारी से वापस जबलपुर फार्म में बुला लिया गया। इसको लेकर दूसरे खासे नाराज हैं। इधर फूफा ने एक बार फिर अपना जलवा बिखेर दिया है। आखिर विवि के फूफा हैं, बात तो खास होगी है। अब उनके किए इस कारनामे के चर्चे, विवि से लेकर कालेज की गलियारों में चलने लगे हैं। सुना है कि फूफा जी की इस मेहरबानी की वजह से उन्हें न चाहने वाले इन दिनों उनका पिछला रिकार्ड खंगालने में जुटे हैं। इस काम में उन्हें सफलता भी मिली है।