जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीएससी परीक्षा नियमों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए राज्य शासन को डाटा पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पीएससी को भर्ती में दिए गए आरक्षण के प्रतिशत को स्पष्ट करने कहा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के आग्रह पर ओबीसी आवेदकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट इंद्रा जय सिंह पैरवी के लिए आगे आई हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तनखा ने पक्ष रखा। बहस के दौरान आरक्षित वर्ग को मैरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकने वाले नियमों को असंवैधानिक करार दिया गया।
नियमों को दी गई चुनौती : याचिका के जरिये मध्य प्रदेश राज्य परीक्षा नियम 2015 में 17 फरवरी 2020 को किए गए संशोधन की संवैधानिकता सहित पीएससी परीक्षा 2019 को निरस्त करने की राहत चाही गई है। उक्त संशोधित नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं जो इंद्रा साहनी के निर्णय से असंगत है व उक्त संशोधित नियम संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 तथा 21 का उल्लंघन करते हैं और कम्युनल आरक्षण लागू करते हैं। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के राज्य सेवा एवं वन सेवा में रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया तथा प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित की गई तथा दिनांक 21 दिसंबर 2020 को संशोधित नियमानुसार रिजल्ट जारी किया गया जिसमें पीएससी द्वारा 113 फीसद आरक्षण लागू किया गया व अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के आवेदकों को ही रखा गया। जबकि पुराने नियमों के अनुसार अनारक्षित वर्ग में आरक्षित व अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों का ही चयन किया जाता है, ये सामान्य नियम भी है। परंतु संशोधित नियम कम्युनल रिजर्वेशन की व्यवस्था करता है। उक्त नियमों को चुनौती देने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के जरिये एससी/एसटी/ओबीसी/ इडब्ल्यूएस के 70 छात्रों की ओर से नौ याचिकाएं दाखिल की गई हैं। शेष याचिकाएं ग्वालियर हाई कोर्ट से जबलपुर स्थानांतरित हुई हैं। याचिकाओं की कुल संख्या 45 है । मुख्य न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने गुरुवार को 10:45 से 12:55 तक सुनवाई की। राज्य शासन व पीएससी को आदेशित किया कि आगामी सुनवाई 14 सितंबर के पूर्व कोर्ट में डेटा प्रस्तुत करें। साफ करें कि आरक्षित श्रेणी के कितने छात्र अभी तक अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए है तथा उक्त भर्ती में दिया गया आरक्षण का प्रतिशत को भी स्पष्ट करें। याचिका कर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व राज्य सभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा व सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इन्द्रा जयसिंह तथा रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह ने पक्ष रखा।