जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर को दस दिन के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामला इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा राधा समता की याचिका से संबंधित है। उसका आरोप है कि उसे मनमाने तरीके से ऑब्सट्रेटिक्स एंड गायनेकोलॉजी विषय में महज 10 अंक दिए गए। जबकि अन्य विषयों में कहीं अधिक अंक हासिल हुए हैं।
प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान मूलत: गुजरात निवासी और इन दिनों इंदौर में अध्ययनरत याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता मेधावी छात्रा है। उसने कड़े परिश्रम से पढ़ाई करके सभी प्रश्न पत्र हल किए थे। दूसरे विषयों में तो उचित अंक मिले, लेकिन ऑब्सट्रेटिक्स एंड गायनेकोलॉजी में महज 10 अंक दे दिए गए। चूंकि उसे विश्वास है कि उसे इतने कम अंक मिल ही नहीं सकते, अत: उसने एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर में आवेदन प्रस्तुत कर नए सिरे से उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन की मांग की। मांग पूरी न किए जाने पर हाई कोर्ट चली आई। मामले में राज्य शासन, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर के डीन को पक्षकार बनाया गया है।
व्यापमं जैसे दूसरे बड़े घोटाले का आरोप : याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने बहस के दौरान कहा कि एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर में व्यापमं जैसा ही दूसरा कोई घोटाला चल रहा है। यह मामला चावल के एक दाने की भांति है। यदि ठीक से जांच कराई जाए तो सच सामने आ जाएगा। याचिकाकर्ता का आरोप है कि परीक्षा के रिकार्ड या तो गीले कर दिए जाते हैं या जला दिए जाते हैं। तरह-तरह की बहानेबाजी कर उत्तर पुस्तिका दिखाने से इनकार कर दिया जाता है। लिहाजा, हाई कोर्ट रिकार्ड तलब करे। नए सिरे से जांच होने पर हकीकत सामने आ ही जाएगी। एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर में रुपये देने वालों को अधिक अंक दे दिए जाते हैं और जो रुपये नहीं देते उन्हें 10 अंक जैसी त्रासदी का शिकार होना पड़ता है।