कॉलम-जनता के रखवाले- रामकृष्ण परमहंस पाण्डेय, नईदुनिया जबलपुर। निरीक्षक पद से पदोन्नत होकर कार्यवाहक डीएसपी बने एक पुलिस अधिकारी की नजर बरगी सीएसपी की कुर्सी पर है। वे किसी भी कीमत पर वह बरगी पहुंचना चाहते हैं। वे एक पूर्व मंत्री व एक वर्तमान विधायक की शरण में जा पहुंचे। यह सोचकर दो आकाओं का दरवाजा खटखटाया कि किसी एक की तो चलेगी ही। दोनों आकाओं ने जोर आजमाइश शुरू की थी इसी बीच वे कप्तान साहब को सैल्यूट मारने पहुंच गए। बातों-बातों में अपनी मंशा भी जाहिर कर दी। पदोन्नति के बाद फील्ड में पोस्टिंग पाने के लिए इस तरह की छटपटाहट देखकर मातहत भी मजे लेने लगे हैं। इस बीच पदोन्नत होकर डीएसपी बने तमाम लोग अभी टीआइ बने रहना चाहते हैं। माह बीतने से पहले स्थानांतरित जगह पर नहीं जाना चाह रहे। इसके लिए वे गुहार लगा रहे हैं क्योंकि दारू वालों ने पाला बदल लिया तो...।
निरीक्षक को लगा कि साहब हैं एमपी 03 वाली मैडम :
पुलिस लाइन में पदस्थ एक निरीक्षक अपने समकक्ष महिला अधिकारी को सैल्यूट कर बैठे। सादे कपड़ों में देख उन्हें लगा कि मैडम विभाग में साहब हैं। मैडम का रूआब भी साहब जैसा है। उनके हाव भाव देखकर कोई भी चमक सकता है। हो भी क्यों न वे पहली निरीक्षक हैं जिन्हें पुलिस लाइन में पोस्टिंग के बावजूद एमपी 03नंबर वाली चार पहिया सरकारी गाड़ी की सुविधा मिल रही है। उसी गाड़ी में वे नजर आती हैं। स्थानांतरण के बाद अन्य निरीक्षक अपने लिए आवास की तलाश में जुट जाते हैं परंतु मैडम की बात ही अलग है। कभी इस होटल तो कभी उस होटल। हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा होय। उनके लिए सब कुछ हाजिर है। बहरहाल, सैल्यूट मारने वाले पुलिस निरीक्षक को पता चल गया है कि मैडम तो वही हैं जिनकी कारगुजारियां प्रदेश में चर्चित हैं।
चुभने लगी कुर्सी या मन में कुछ और :
जिला अस्पताल विक्टोरिया के एक साहब ने कुर्सी का मोह त्याग दिया है। पद से हटने की इच्छा जताते हुए उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में पत्राचार किया है। भोपाल स्थित विभाग के शीर्ष कार्यालय तक उनकी चिट्ठी पहुंच गई है। उन्हें पद से हटाने का निर्णय भी वहीं से लिया जाना है। अधीनस्थों में चर्चा है कि कुर्सी पाने के लिए साहब ने जो कोशिश की थी उससे ज्यादा कोशिश पद से हटने के लिए कर रहे हैं। पर वे पद से हटाए नहीं जा रहे जिससे चर्चा का बाजार गर्म होता जा रहा है। एक कर्मचारी ने कहा कि भला कौन छोड़ना चाहता है मलाईदार पद। वो तो दूसरे साहब कुर्सी की जोड़तोड़ में लगे हैं। कुर्सी कहीं खिसक न जाए इसलिए साहब ने पैंतरा बदला है। हटा दिए गए तो बोलेंगे कि मर्जी थी कुर्सी पर बने रहे तो बल्ले-बल्ले।
स्थानांतरण क्या हुआ आलमारी की चाबी ले भागे साहब :
मप्र चिकित्सा विश्वविद्यालय में रहे एक साहब प्रतिनियुक्ति समाप्त किए जाने से इतने नाखुश हो गए कि जाते-जाते आलमारी की चाबी पार कर दी। बंद आलमारी में शासकीय कामकाज से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे हैं। दस्तावेजों के अभाव में विश्वविद्यालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है। सुनने में तो यह भी आया है कि साहब कम्प्यूटर की हार्डडिस्क तक उठा ले गए हैं। जिसमें प्रदेश भर के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी है। कुलपति के निर्देश पर आलमारी को सील किया जा चुका है। कुल मिलाकर विश्वविद्यालय में आए दिन नई-नई समस्या दस्तक दे रही है। एक कर्मचारी ने कहा कि एक समस्या और आने वाली है। बड़ी मुश्किल से उसे दूर भगाया गया था। पहली समस्या से निपटने आलमारी का ताला तोड़ा जा सकता है। दूसरी समस्या से निपटने के लिए कोई विकल्प नहीं मिल रहा।