जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
जिला अदालत ने मोहनलाल हरगोविन्ददास फर्म के मालिक राजर्षि स्व. परमानंद भाई पटेल हाईप्रोफाइल फैमली के वसीयत विवाद संबंधी याचिका खारिज कर दी। यह याचिका स्व. परमानंद भाई पटेल की पत्नी श्रीमती ज्योत्सनाबेन पटेल ने दायर की थी।
द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव की अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने वसीयतनामे की सत्यता को लेकर लगाई गई याचिका तमाम तथ्यों पर गौर करने और गवाहों के बयान रिकॉर्ड पर लेने के बाद खारिज कर दी।
निष्पादक नियुक्त करने की मांग-स्व. पटेल की धर्मपत्नी श्रीमती ज्योत्सनाबेन पटेल की ओर से अपनी याचिका के जरिए अपने पति द्वारा वर्ष-1991 में की गई वसीयत को पूर्णतया सही ठहराते हुए स्वयं को निष्पादक नियुक्त किए जाने की मांग की थी। उन्होंने 1991 में की गई वसीयत का पंजीकरण 5 वर्ष बाद 1996 में कराए जाने की जानकारी प्रस्तुत की थी। साथ ही इसी वसीयत के आधार पर 'प्रोबेट' की मांग की थी।
वसीयत पर लगाया था सवालिया निशान-
इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए स्व. परमानंद भाई पटेल की बड़ी बेटी श्रीमती नीनाबेन पटेल ने 1991 की तथाकथित वसीयत की सच्चाई पर सवालिया निशान लगाते हुए अपनी तरफ से कई साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने वकीलों के जरिए तथ्यों के आधार पर मां ज्योत्सना द्वारा दायर याचिका का पुरजोर विरोध किया और अवगत कराया कि उनके पिता स्व. परमानंद भाई पटेल को 1994 में ब्रेन हेमरेज हो गया था, इस स्थिति में उनके सोचने-समझने की क्षमता न्यून हो गई थी। वे दैनिक क्रियाकलाप करने में तक पूर्णतया असमर्थ थे। ऐसे में सवाल उठता है कि बिस्तर पर पड़ा ब्रेन हेमरेज का शिकार एक वयोवृद्घ 1991 की वसीयत पर 5 वर्ष बाद 1996 में सहमति के संदर्भ में हस्ताक्षर भला कैसे कर सकता है?
याचिका इसलिए खारिज- सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपने फैसले में पाया कि कई वर्षों तक अचेत-अवस्था में बिस्तर पर पड़े रहे राजर्षि परमानंद भाई पटेल की वसीयत का निष्पादन अधिकार उनकी पत्नी श्रीमती ज्योत्सनाबेन पटेल को नहीं दिया जा सकता। ऐसा इसलिए भी क्योंकि स्वयं ज्योत्सनाबेन पटेल द्वारा अपने पक्ष के समर्थन में वसीयतनामा के साक्षी बतौर पेश किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता केएन अग्रवाल ने अपने बयान में कहा था कि-''वसीयतनामे पर परमानंद भाई पटेल ने उनके समक्ष हस्ताक्षर नहीं किए थे। जबकि स्वयं उन्होंने एक वकील के रूप में परमानंद भाई पटेल की पत्नी ज्योत्सनाबेन और बड़े पुत्र पूर्व मंत्री श्रवण भाई पटेल के कहने पर वसीयतनामे पर हस्ताक्षर किए थे। इस तरह चूंकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत वसीयत का निष्पादन साबित नहीं हुआ, अतः अदालत द्वारा तथाकथित वसीयतनामा-याचिका खारिज की जाती है।
सपंत्ति हड़पने का आरोप- स्व. पटेल की बड़ी बेटी नीना ने अपनी मां ज्योत्सना पर अन्य पुत्र-पुत्रियों के साथ मिलकर षडयंत्रपूव्रक संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि इसके लिए कूटरचित दस्तावेजों का सहारा लिया गया है। मां होकर भी बड़ी बेटी के साथ अन्याय करते हुए प्रॉपर्टी की हिस्सेदारी में भेदभाव किया जा रहा है। दरअसल, अदालत में यह याचिका पेश ही इसलिए की गई ताकि कोर्ट को गुमराह करके फर्जी वसीयतनामे को सही साबित कर दिया जाए।
बॉक्स...अरबपति की कुल संपत्ति सिर्फ 5 लाख
अदालत में इस मामले की मैराथन बहस के दौरान बड़ी बेटी नीना के वकील ने साफ कर दिया कि सोची-समझी साजिश के तहत वृहद स्तर पर फैले अरबों के कारोबार, चल-अचल संपत्तियों में से उनकी मुवक्किल को समकक्ष हिस्सा न देने की नीयत से फर्जी वसीयत की ढाल बनाई गई है। इस वसीयत को अदालत में पेश करके कुल संपत्ति का ब्यौरा महज 5 लाख 5 हजार 499 रुपए निर्धारित किया गया है। यह न सिर्फ अविश्वसनीय बल्कि हास्यास्पद बात है। इसके बावजूद इसी राशि को मूल्यांकित कर बंटवारा करने की चाल चली जा रही है।
बॉक्स..फिर भी लगा झटका- इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि याचिकाकर्ता ज्योत्सना के बड़े बेटे पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता श्रवण भाई पटेल ने अपनी बहन सोनल किरण अमीन, रूपाबेन पटेल के साथ मिलकर मां का समर्थन किया। इसके बावजूद बड़ी बहन ने हार नहीं मानी और तथाकथित वसीयतनामे को गलत करार देते हुए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से प्राप्त सबूत अदालत में पेश कर दिया। इसी आधार पर अदालत ने अंततः ज्योत्सनाबेन की याचिका खारिज कर दी।
बॉक्स...आपराधिक प्रकरण प्रस्तुत- जिस वसीयतनामे को सत्य साबित करने के लिए याचिका दायर की गई थी, वह खारिज हो चुकी है। इसी के साथ बड़ी बेटी नीना पटेल के खिलाफ किए जा रहे षड़यंत्र को लेकर मां ज्योत्सना, बड़े भाई श्रवण, छोटी बहन सोनल और रूपा के अलावा तत्कालीन पंजीयक दिनेश कुमार तिवारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण अदालत में प्रस्तुत किया गया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सतीश अग्रवाल, देवाशीष साकलकर, आरएस तिवारी व अन्य ने पक्ष रखे।