जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
6 माह की गर्भावस्था में शबाना के साथ गर्भस्थ शिशु भी खतरे से जूझ रहा है। गर्भवती शबाना के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ 2 ग्राम है। प्री-मेच्योर डिलेवरी के साथ महिला व शिशु की जान पर जोखिम का खतरा मंडरा रहा है। शबाना के हाथ के नाखून जब पीले पड़ने लगे तब परिजन को होश आया और वे उसे लेकर एल्गिन पहुंचे। चिकित्सक ने हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बताया है। शबाना की तरह इस खतरे से जूझ रही कई महिलाएं हर माह एल्गिन पहुंच रही हैं।
साढे तीन माह में 90 केस सामने आए-
चिकित्सकों ने बताया कि गर्भवती महिला के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 7 ग्राम से कम होने पर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा रहता है। अस्पताल पहुंचने वाली स्लम एरिया व ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में यह समस्या ज्यादा सामने आ रही है, जिसकी मुख्य वजह खानपान में कमी है। जनवरी से 15 अप्रैल तक 90 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का पंजीयन एल्गिन में किया जा चुका है, जिनका हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम है। महिलाओं को संतुलित पोषण आहार की सलाह के साथ हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं। आवश्यक होने पर खून भी चढ़ाया जाता है।
खानपान में कमी के साथ ये कारण भी जिम्मेदार
हाई ब्लड प्रेशर-
अनियंत्रित रक्तचाप महिला व गर्भस्थ शिशु के गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे पीड़ित महिला अन्य कई तरह की समस्याओं की चपेट में आ सकती है।
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिन्ड्रोम (पीसीओएस)-
महिला के गर्भवती होने व गर्भवती रहने के लिए खतरा बन सकता है। यह समय से पहले प्रसव के खतरे को बढ़ा सकता है। इस दशा में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ता है।
डायबिटीज-
गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। अजन्मे बच्चे को खतरा हो सकता है। यह भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बनता है।
थायरॉइड-
इस बीमारी का शिकार महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की चपेट में रहती हैं। गर्भधारण में भी थायरॉइड समस्या बनता है। नशीले पदार्थ का सेवन और मोटापा भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की वजह बनता है।
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ग्रामीण क्षेत्रों व स्लम एरिया से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के ज्यादा मामले सामने आते हैं। गर्भावस्था में पोषण आहार की कमी और अनियमित दिनचर्या इसकी मुख्य वजह है। जच्चा व बच्चा दोनों पर खतरा मंडराता रहता है।
डॉ. संजय मिश्रा, आरएमओ
एल्गिन चिकित्सालय