जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर।
उन्मेष-ज्ञान विज्ञान विचार संगठन (उन्मेष) और भौतिक शास्त्र विभाग, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के सहयोग से प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर द्वारा दो दिवसीय प्लाज्मा विज्ञान पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन गया। जहां दूसरे दिन देश के विभिन्न प्रांतों के शिक्षकों, स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों, शोध विद्यार्थियों व सामान्य जनों ने भाग लिया। मप्र, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात और उत्तराखंड के 180 से अधिक लोगों ने इस कार्यशाला के लिए पंजीयन कराया था। कार्यशाला का प्रसारण उन्मेष के यू-ट्यूब चैनल पर लाइव किया गया।
दूसरे दिन दो सत्रों में आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में बताया गया कि नाभिकीय संलयन क्या है और क्यों ये भविष्य का पावर हाउस हो सकता है। प्लाज्मा अवस्था संलयन के लिए क्यों आवश्यक है इसकी जानकारी भी दी गई। दूसरे सत्र में प्लाज्मा के अनुप्रयोगों के बारे में प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान में रोजगार के अवसरों पर बात हुई। टोकोमैक, ऑयन प्रोपलशन तंत्र, प्लाज्मा लैंप और अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रहों को कक्ष में रखने और प्रक्षेपण में अनुप्रयोगों को समझाया गया। अतिचालकता द्वारा किस प्रकार ट्रेन, पटरी पर तैरती है, चलित मॉडल द्वारा दिखाया गया। प्रतिभागियों ने कई सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। सवालों में शामिल थे- कि क्या ब्लैक होल में प्लाज्मा है? चीन का आर्टीफिशियल सन क्या है? क्या भविष्य में प्लाज्मा और संलयन से समुद्र के पानी से बिजली बन पाएगी?
प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर के निदेशक डॉ. एवी रविकुमार ने पूरी कार्यशाला की रूपरेखा रखी। डॉ.रवि कटारे, अध्यक्ष भौतिकशास्त्र विभाग, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय ने धन्यवाद दिया। उत्तराखंड से उन्मेष की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कविता भट्ट ने प्रतिभागियों और अतिथियों का स्वागत किया। प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर के विज्ञानी डॉ. छाया चावड़ा, डॉ. हर्षा, डॉ. मोहनदास ने प्रयोगों को प्रदशित किया और व्याख्यान के माध्यम से अपनी बात भी रखी।