जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। संगीत संकल्प जबलपुर व माता गुजरी महिला महाविद्यालय के सहयोग से सोमवार आठ मार्च को माता गुजरी महिला महाविद्यालय परिसर में किया जा रहा है। यह आयोजन भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी जन्म श्ाताब्दी वर्ष समारोह के अंतर्गत किया जा रहा है। समारोह में 'हवेली संगीत और ध्रुपद गायन विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में देश के ख्यात ध्रुपद गायक पंडित सुखदेव चतुर्वेदी दरभंगा घराना (मुंबई) से अपना व्याख्यान देंगे। यह कार्यशाला दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच आयोजित की जाएगी। इस आयोजन के संयोजक संगीत संकल्प के सचिव डॉ. संजय वर्मा, माता गुजरी कॉलेज की संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव हैं।
आयोजकों ने बताया कि हवेली संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत का ही एक रूप है। यह हवेली संगीत हवेलियों में गाया जाने वाला हिंदुस्तानी संगीत है। इसे मुख्य रूप ध्रुपद में गाया जाता है। यह उत्तर भारत के ब्रज व मथुरा में उत्पन्न् हुआ है। यह पुष्टिमार्ग संप्रदाय द्वारा कृष्ण को हर दिन गाए गाने वाले भक्ति गीतो का रूप लेता है। पुष्टिमार्ग में प्रभु श्रीनाथजी की सेवा, श्रृंगार, भोग और राग के माध्यम से की जाती है। पुष्टिप्रभु संगीत की स्वर लहरियों में जागते हैं और उन्हीं स्वर लहरियों के साथ श्रृंगार धारण करते हैं और भोग भी ग्रहण करते हैं। पुष्टिमार्गीय मंदिरों में ऋतु व काल के अनुरूप राग-रागनियों का निर्धारण किया जाता है। साथ ही भक्ति पदों का गायन किया जाता है। इस कीर्तन परंपरागत वाद्य यंत्रों द्वारा संगत होती है।
पुष्टिमार्ग ने संगीत के क्षेत्र में सैकड़ों संगीतकार प्रदान किए हैं। श्रीनाथजी की हवेली में जाने वाली गायन क्रिया को कीर्तन कहा जाता है। गायन की ध्रुपद धमाल शैली व रास-नृत्य शैली ने अष्टछाप संगीत को अमरता प्रदान की है।