जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। पृथ्वी पर सांपों का अस्तित्व अनंत समय से है। सांप शब्द सुनते ही लोग डर जाते हैं। भारत में सांप की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 15 प्रजातियों के सांप जहरीले होते हैं। इन 15 में से भी महज चार सांपों के काटने से 98 प्रतिशत मौतें होती हैं। शहर में बारिश शुरू होते ही सर्पदंश से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ जाती है।
लोगों को सर्पदंश से बचाने और सर्पदंश के प्रति जागरूक करने के लिए शासकीय मोहन लाल हरगोविंददास गृह विज्ञान व विज्ञान महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग में कार्यरत डॉ. अर्जुन शुक्ला कार्य कर रहे हैं। डॉ. शुक्ला ने बताया कि उन्हें सर्प विशेषज्ञ विवेक शर्मा ने सात वर्ष पूर्ण प्रेरणा मिली थी। इसके बाद वे मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया से जुड़कर लोगों को सर्पदंश के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिग फोर या डेडली फोर नाम से पहचाने जाने वाले भारत के चार जहरीले सांप कोबरा (स्पेक्टेड), करैत (कॉमन व बैन्डेड), रसल वाइपर, सॉ स्केल्ड वाइपर हैं।
सांप के काटने के तरीके व रंग, रूप, आकार, प्रकार के आधार पर नहीं कहा जा सकता कि वह जहरीले हैं या बिना जहरवाले। क्योंकि कुछ सांप शत्रुओं से बचाव के लिए जहरीले सांपों की तरह दिखते हैं। वहीं कुछ सांप देखने में साधारण और छोटे लगते हैं लेकिन उनका जहर बहुत घातक होता है। आमतौर पर सांप खुद इंसानों से डरते हैं और तभी हमला करते हैं।
जबलपुर में मौजूद है ये बिग फोर : डॉ. अर्जुन ने बताया कि जबलपुर के आसपास क्षेत्र में छह प्रकार के विषैले सांप हैं। जिसमें ये चारों प्रजातियों के अलावा बैन्डेड करैत व बंबू पिट वाइपर मौजूद है। जिनके वेनोम आमतौर पर हीमोटॉक्सिक (लाल रक्त कोशिकाओं के लिए विनाशकारी) या न्यूरोटॉक्सिक (न्यूरॉन्स के कार्यों को रोकना) होते हैं, जिनमें कोबरा व करैत न्यूरोटॉक्सिक होते है तथा वाइपर हीमोटॉक्सिक होता है।
सांप का विष लार का एक अत्यधिक परिवर्धित रूप है जो मुख्यतः प्रोटीन और पॉलीपेप्टाइड्स से निर्मित होता है। डॉ. अर्जुन बताते हैं कि सांप के डंसने के बाद मिचली, उल्टी और घबराहट होने लगती है। साथ ही ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। डंसने के स्थान पर सूजन आ जाती है और खून के थक्का बनने की प्रक्रिया थम जाती है। हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लक्षण विष के एंजाइम ‘फास्को लिपेस ए-2’ के चलते सामने आते हैं। विष के असर को कम करने के लिए एंटी स्नैक वेनम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए घोड़े के सीरम को सांप के विष में डाल कर एंटीबॉडी तैयार किया जाता है। जो शासकीय अस्पताल में निश्शुल्क उपलब्ध है। जबकि बाजार में एक हजार के करीब एक एंटी स्नैक वेनम मिलता है।
सांप के काटने में क्या करें-
- शांत बैठे- सबसे पहले तो अपने आपको शांत रखें और दिल की धड़कन को समान्य अवस्था में रखें। जिससे जहर शरीर में ज्यादा नहीं फैलेगा।
- काटने वाले सांप को पहचानें- जिस सांप ने काटा है उसे मारने में समय व्यतीत न करें बल्कि सांप की पहचान करें। हो सके तो उसकी एक फोटो ले लें इससे डॉक्टर को फायदा होगा और वो जान पाएगा की पीड़ित को क्या देना है।
- काटने वाले स्थान से कसे कपड़े या गहने निकाल दें वरना वहां सूजन हो सकती है।
- तुरंत अस्पताल ले जाएं- रोगी को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल ले जाना चाहिए।
- खून के रुक जाने के बाद उस स्थान को साबुन और गुनगुने पानी से धो देंं। लेकिन बहते पानी से ना धोएं।
- छोटे बच्चे, वृद्ध और अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में जहर का असर गंभीर हो सकता है, इनके उपचार में देरी न करें।
सांप के काटने में क्या ना करें-
- तांत्रिक का सहारा ना ले- झाड़ फूंक से कोई रोगी ठीक नहीं हो सकता। अतः तांत्रिक का सहारा ना लेकर डॉक्टर का मदद ले।
- जहर चूस कर बाहर ना निकाले- ये काम आपके और पीड़ित दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
- घाव को ना काटे- काटने से खून ज्यादा बह सकता है और साथ में ये घाव को और खराब कर सकता है।
- पीड़ित को शराब ना पिलाए- कुछ व्यक्ति पीड़ित के दर्द को कम करने के लिए शराब पिलाते है जोकि खतरनाक है।