जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित पद होने के बाद भी उनमें संविदा कर्मियों को रखा जा रहा है। इससे न केवल कर्मचारियों का आर्थिक शोषण हो रहा है बल्कि उनसे शारीरिक व मानसिक श्रम भी नियमित कर्मचारियों की तरह ही लिया जा रहा है। इसलिए मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने इसका विरोध किया है।
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, शिक्षा विभाग, पंचायत विभाग आदि विभाग में संविदा कल्वर अपनाते हुए नियमित पदों के विरूद्ध संविदा कर्मचारियों को रखा जा रहा है। वहीं इन कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के वेतन का 90 फीसद वेतन दिए जाने के उल्लेख के बावजूद भी न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है।
इससे उन्हें प्रतिमाह आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उक्त विभागों में विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों द्वारा कोरोनाकाल में जान जोखिम में डाल कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पीडित मानवता की सेवा की गई है। किन्तु सरकार की अनदेखी के कारण संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सरकार द्वारा नई परिपाटी का सृजन कर आउट सोर्स से कार्य कराने के लिए पढ़े लिखे बेजरोजगारों का दोहन कर ठेकादोरों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
शासन के सौतले व्यवहार से संविदा कर्मियों एवं उनके परिवार में रोष व्याप्त है। संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, डॉ संदीप नेमा, संतकुमार छीपा, श्रीराम झारिया, एस.बी.मिश्रा, देवेन्द्र प्रताप सिंह, श्यामनाराण तिवारी, विष्णु पाण्डे, मोक तारिख, धीरेन्द्र सोनी, संतोष तिवारी, महेश कोरी, मनीष लोहिया,प्रणव साहू, सुदेश पांडे, मनीष शुक्ला आदि ने शासन से मांग की है की संविदा कल्चर समाप्त करते हुए प्रदेश के समस्त विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।