जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। मध्यांचल सोशियोलॉजीकल सोसायटी द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता छह विश्व विद्यालयों के कुलपतियों के साथ ही 157 प्राध्यापकों ने भाग लिया। वेबिनार की उपादेयता प्रस्तुत करने व अतिथि वक्ताओं का शाब्दिक स्वागत उद्बोधन डॉ महेश शुक्ला, अध्यक्ष मध्यांचल सोशियोलॉजीकल सोसायटी ने किया। इसके बाद सचिव ध्रुव कुमार दीक्षित के संचालन में वेबिनार शुरू हुआ।
सप्तऋषियों को एक मंच पर लाकर शिक्षा की अलख जगाई : सबसे पहले रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर के कुलपति डॉ कपिलदेव मिश्रा ने कहा कि मध्यांचल सोसायटी बधाई की पात्र है। जिसने शिक्षा जगत के सप्तऋषियों को एक मंच पर लाकर शिक्षा की अलख जगाई है। आज हम सभी अपना जीवन बचाने की फिक्र में लगे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी एक सफल नेतृत्व कर इस महामारी से समाज को बचाने में प्रयासरत हैं। गत एक वर्ष में जबलपुर विश्वविद्यालय ने अपनी सभी प्रशासनिक, शैक्षणिक, कार्यालयीन गतिविधियां आनलाइन कर एक नवाचार किया है। शिक्षण, परीक्षा, मौखिक परीक्षा, पीएचडी वायवा, कार्यपरिषद, विद्या परिषद, प्राचार्य संवाद सहित दीक्षांत समारोह भी आनलाइन किया। विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के विद्यार्थी 10 गोद ग्रामों में जनजागरण का कार्य करने के साथ ही इंटर्नशिप भी गांव में कर आनन्दित हो रहे हैं। रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी एक हाथ में ज्ञान तो दूसरे हाथ में कौशल के मंत्र के साथ नवाचार कर रही है। आयुर्वेद, योग, पारम्परिक देसज ज्ञान, होम जैविक कृषि, मास्क सैनिटाइजर निर्माण के साथ ही विगत एक वर्ष में यूनिवर्सिटी ने 250 से अधिक आनलाइन वार्ताएं, वेबिनार आयोजित कर देसज ज्ञान के साथ सभी को तन, मन से स्वस्थ रखने प्रयास कर रही है, इसमें कॉलेज, मध्यांचल सोशियोलोजीकल सोसायटी भी हमारे साथ कार्यरत है।
वायरस की सप्लाई ने हमारी सुरक्षा डिमांड बहुत बढ़ा दी : वेबिनार के दूसरे वक्ता प्रख्यात अर्थशास्त्री कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी बिलासपुर डॉ ए डीएन वाजपेयी ने आर्थिक संकट की चर्चा करते हुए कहा कि ये डिमांड और सप्लाई का खेल है। वायरस की सप्लाई ने हमारी सुरक्षा डिमांड बहुत बढ़ा दी, दवाइयों का उत्पादन हमारी आवश्यकता से बहुत कम था, अस्पताल प्रबंधन पर भी लोड बढ़ गया अर्थात सप्लाई से ज्यादा डिमांड होने से व्यवस्था चरमरा गई। जिससे समाज के सुनिश्चित आय वर्ग जो संख्यात्मक रूप से बहुत कम है वो प्रभावित नहीं हुआ लेकिन अनिश्चित आय वर्ग जिसकी 80% आबादी है वो सर्वाधिक प्रभावित हुया है, ट्यूशन करके जीविकोपार्जन करने वाले संकट में हैं। महामारी में आर्थिक संकट से जूझ रहे यूनिवर्सिटी के हालात पर जानकारी दी।
प्रकृति और संस्कृति का संतुलन बनाए रखना जरूरी : डॉ अखिलेश पांडे कुलपति विक्रम यूनिवर्सिटी, उज्जैन ने बताया कि आज जो हालात बने हैं उसका कारण है हमारा भारतीय दर्शन, व्यवहार, शिक्षा से दूर होना है। प्रकृति और संस्कृति का संतुलन बनाए रखना जरूरी है और जब ये दोनों असंतुलित होते हैं तो महामारी जैसी आपदाएं आती हैं। वर्तमान में समाज में पीपीई किट, ग्लब्ज आदि प्लास्टिक का 8 मिलियन कचरे का प्रबंधन एक चुनौती है। डिजिटलाइजेशन जरूरी है लेकिन इससे रेडियो एक्टिवता भी बढ़ रही है। आज म्यूटेशन, प्रदूषण, श्वसन ये तीन समस्या है जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर रही है। वर्क फ्रॉम होम, घरों में कैद होने व कंप्यूटर के लिए एयर कंडीशन के प्रयोग से घरों में फंगस लग रहे हैं। हमें बिल्डिंग हेल्थ पर भी ध्यान देना होगा। डॉ राजकुमार आचार्य, कुलपति अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रीवा ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने महामारी से लड़ने के साथ ही सेवा कार्य का एक कीर्तिमान स्थापित किया है। यूनिवर्सिटी युवा ऊर्जा से पूर्ण रहती है और इस युवा ऊर्जा ने जनजागरण, मेडिकल, वेक्सिनेशन कैम्प में सहयोग, भोजन वितरण, पीड़ितों को हॉस्पिटल की उपलब्धता कराने, प्राणरक्षक दवाओं की उपलब्धता कराने के साथ ही मानसिक सम्बल भी प्रदान किया। सामाजिक संरचना की मजबूती सेवा से ही होती है। डॉ गंगा प्रसाद परसाई कुलपति त्रिपुरा यूनिवर्सिटी मणिपुर ने बताया कि पूर्वोतर प्रान्तों में आवागमन की उपलब्धता की कमी के लिए हमने टेली मेडीशन कैम्प लगाए। मध्यांचल सोसायटी, मध्यधप्रदेश की यूनिवर्सिटी के सभी कुलपति के साथ त्रिपुरा यूनिवर्सिटी मिलकर योजनाबद्ध ढंग से महामारी से लड़ने के लिए एक्शन प्लान बनाएगी। डॉ अरविंद जोशी प्राध्यापक समाजशास्त्र बीएचयू, वाराणसी ने कहा कि यूनिवर्सिटी फर्स्ट हैंड इनफार्मेशन सेंटर हैं। यूनिवर्सिटी को सामाजिक जिम्मेदारी निभाना होगी। अभी तो साइंटिस्ट भी ट्रायल एन्ड एरर पर काम कर रहे हैं। आनलाइन एजुकेशन जरूरी तो है लेकिन आज भी 50000 हज़ार गांव में इंटरनेट सुविधा ही नहीं है। हमें अपने पारम्परिक मूल्यों को जीवित रखना होगा। यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है मानवता की रक्षा के साथ ज्ञान का प्रसार करना। वेबिनार में मधुरेश जायसवाल फरीदाबाद, मनु गोराहा उज्जैन, कल्पना शास्त्री दुबई, शोभा मित्र शिमला, एनसी शर्मा बरेली, आरके जैन सतना, बारेलाल जैन रीवा, डॉ एसएस संधू, डॉ अतुल दुबे, डॉ संजय तिवारी, डॉ प्रति केसरवानी, डॉ वीणा वाजपेयी, डॉ ऋचासेन गुप्ता, डॉ स्वाति शुक्ला सतना, डॉ शिवानी राय दमोह, डॉ विजय दीक्षित अमरकंटक, डॉ प्रीति शर्मा रायपुर, डॉ सुचित्रा शर्मा दुर्ग आदि की उल्लेखनीय सहभागिता रही। वेबिनार का संचालन डॉ ध्रुव कुमार दीक्षित ने और आभार डॉ महेश शुक्ला ने किया।