जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। शास्त्रों के ज्ञान के साथ, साहस, पराक्रम,एकता और करुणा से ही व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा शक्ति बढ़ती है। अन्याय और असत्य के प्रति आक्रोश और जीव के प्रति करुणा का भाव मनुष्य का स्वभाव होना चाहिए। जिस परिवार में करुणा,संवेदना,बुजुर्गों के प्रति सम्मान और एकता होती है वह परिवार कभी असफल नहीं होता। भगवान पशुराम का जीवन दर्शन ही एकता और समर्पण का रहा।
यह बात विश्व परिवार दिवस व भगवान परशुराम प्रकट उत्सव पर 'सनाढ्य संगम' एवं सनाढ्य कल्याण परिषद द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आनलाइन आयोजित सामाजिक चेतना संगोष्ठी में अतिथियों ने कही। समारोह के मुख्य अतिथि नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ.पवन स्थापक थे। अध्यक्षता भागवताचार्य पं. विनोदशंकर शास्त्री ने की। विशिष्ट अतिथि, आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. गोविंद उपाध्याय नागपुर,वरिष्ठ साहित्यकार बसंत शर्मा, समाजसेवी के.डी. पचौरी, रामेश्वर बिल्थरे एवं अशोक बिलथरिया थे। समारोह की संयोजना व संचालन राजेश पाठक प्रवीण ने किया।
अतिथियों ने कहा कि विपरीत समय में परिवार से बढ़ कर अन्य कोई शक्ति नहीं हो सकती। कोरोना में जब किसी का किसी संक्रमित से मिलना मना है तब भी कुछ परिवारों के सदस्य पीपीई किट पहनकर अपनों के लिए अस्पताल में पहंच रहे हैं। ऐसा सिर्फ अपने देश के परिवारों में ही हो सकता है। परिवार के सदस्य एक दूसरे से मानसिक और भावनात्मक रूप से जुड़ कर संबल दे रहे हैं। जो आइसोलेशन में घरों में हैं उनके लिए भी परिवार का साथ ही बड़ा सहारा है। उनके साथ से ही लोग जल्दी ठीक भी हो रहे हैं।
प्रारम्भ में अर्चना द्विवेदी गुदालू व अर्चना गोस्वामी ने विश्व शांति के लिए भजन प्रस्तुत किए। जयराम
चंसोरिया, चंद्रा दीक्षित, दुर्गा उपाध्याय,रजनी कटारे एवं आशीष कटारे ने आलेख, चित्र एवं काव्य के माध्यम से पारिवारिक एवं जागरण का संदेश दिया। अतिथि स्वागत सुरेश स्वामी, दिलीप पचौरी, कैलाश भार्गव केके द्विवेदी ने एवं आभार चंद्रशेखर शर्मा ने किया।