जबलपुर (नईदुनिया रिपोर्टर)। पूरा विश्व अगर किसी वैज्ञानिक भाषा को स्वीकार कर रहा है, तो वह है संस्कृत। विभिन्न देशों में संस्कृत भाषा का विस्तार हो रहा है। भारत में भी इस दिशा में और प्रयास की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस पर जोर डाला गया है। ये बातें कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने दो दिवसीय अखिल भारतीय राजशेखर समारोह के उद्घाटन अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में कही।
कालिदास संस्कृत अकादमी मप्र संस्कृति परिषद उज्जैन एवं संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने कहा कि ग्यारहवी शताब्दी में जब महाकवि राजशेखर इस धरा पर आए तब संक्रमणकाल था, लेकिन कवि, लेखकों पर किसी का प्रभाव नहीं होता। राजशेखर में सभी गुण विद्यमान थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भारत वैरागी ने संस्कृत भाषा की प्राचीनता एवं महाकवि राजशेखर की महत्ता को निरूपित तो किया ही, साथ ही संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता को सिद्ध करते हुए शिक्षा प्राप्ति के सम्पूर्ण चरणों में संस्कृत भाषा की अनिवार्यता पर भी बल दिया।
इन्होंने कहा कि आज दुनिया के विभिन्न देशों का संस्कृत भाषा के प्रति तेजी से आकर्षण बढ़ रहा है। संस्कृत भाषा को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है।
नासा ने संस्कृत को बताया सटीक भाषा: कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं है। नासा ने इसे वैज्ञानिक भाषा में प्रयोग के लिए सबसे सटीक भाषा बताया है। कालिदास, राजशेखर ने जो भी लिखा वह वैज्ञानिकता के आधार पर ही लिखा है। आज विदेशों में संस्कृत भाषा अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जा रही है, लेकिन देश में आठवीं के बाद यह अनिवार्य नहीं है। आगे की कक्षाओं में भी यह अनिवार्य हो इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
समारोह के द्वितीय सत्र में विद्वानों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरिता यादव व आभार प्रदर्शन अजय मेहता ने किया। इस अवसर पर कार्य परिषद सदस्य निखिल देशकर, प्रो. कमलेश मिश्र, प्रो.सुरेंद्र सिंह, प्रो.पीके सिंघल, डॉ. माला प्यासी, डॉ.साधना जंसारी, डॉ.अखिलेश कुमार मिश्र, डॉ.अजय मिश्र, प्रेम पुरोहित समेत बड़ी संख्या में विद्वान एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।