नई दिल्ली, जबलपुर। वयोवृद्ध पत्रकार और राष्ट्रीय भावधारा के लेखक भगवतीधर वाजपेयी (96 वर्ष) का जबलपुर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन से पत्रकारिता जगत सहित अन्य क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन पर भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार भगवतीधर वाजपेयी का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम रानीताल मुक्तिधाम में हुआ। वे अपने पीछे धर्मपत्नी उर्मिला, पुत्र रवींद्र व अविनाश, पुत्रवधु नीरजा व प्रीति सहित भरा-पुरा परिवार छोड़ गए हैं।
उन्होंने 1950 के दौर में लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ पत्रकारिता की शुरुआत की थी। वे दिल्ली व नागपुर होते हुए जबलपुर आए। यहां युगधर्म के संस्थापक संपादक बतौर नई पारी शुरू की। इसी के साथ संस्कारधानी जबलपुर उनकी कर्मभूमि बन गई। युगधर्म के नागपुर व रायपुर संस्करणों के प्रधान संपादक पद की जिम्मेदारी भी उन्होंने बखूबी निभाई।
चार दशक की पत्रकारिता के दौरान उन्होंने नव प्रतिमान दर्ज किए। उनसे मार्गदर्शन पाने वाले युवा पत्रकार देश-दुनिया में फैल गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बाल्यकाल में जुड़े वाजपेयी आजीवन संघ में सक्रिय रहे। जिला पत्रकार संघ, जबलपुर के अलावा महाकोशल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रहने का भी उन्होंने गौरव अर्जित किया। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुल संसद व कार्यपरिषद के सदस्य के रूप में भी उन्होंने अपनी कर्मठता का परिचय दिया।
अपने शोक संदेश में प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि युगधर्म (नागपुर-जबलपुर) के संपादक के रूप में उनकी पत्रकारिता ने राष्ट्रीय चेतना का विस्तार किया। वे सिर्फ एक पत्रकार ही नहीं, मूल्यआधारित पत्रकारिता और भारतीयता के प्रतीक पुरुष थे। उनका समूचा जीवन इस देश की महान संस्कृति के प्रचार-प्रसार में समर्पित रहा।
वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रीय भावधारा के लेखक श्री भगवतीधर वाजपेयी जी के निधन से दु:ख हुआ।
आपातकाल में भी निडरता से उनकी कलम चलती रही और वे राष्ट्र व जनता की अवाज उठाते रहे।
सच्चाई और मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले पत्रकार के रूप में वे सदैव याद आयेंगे। ॐ शांति! pic.twitter.com/acSVOn9skD
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 6, 2021
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि 1957 में नागपुर में युगधर्म के संपादक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने 1990 तक सक्रिय पत्रकारिता करते हुए युवा पत्रकारों की एक पूरी पौध तैयार की। उनकी समूची पत्रकारिता में मूल्यनिष्ठा, भारतीयता, संस्कृति के प्रति अनुराग और देशवासियों को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने की भावना दिखती है। 1952 में स्वदेश के माध्यम से अपनी पत्रकारिता का प्रारंभ करने वाले श्री वाजपेयी का निधन एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है। 2006 में उन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रो.द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एक विचार के लिए लगा दी और संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए भी घुटने नहीं टेके। आपातकाल में न सिर्फ उनके अखबार पर ताला डाल दिया गया, वरन उन्हें जेल भी भेजा गया। इसके बाद भी न तो झुके, न ही डिगे।