नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। रेलवे ने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच रेल संपर्क बढ़ाने के लिए जबलपुर-गोंदिया होकर सबसे कम दूरी का रेलमार्ग बनाया। इस रेलमार्ग से दक्षिण के द्वार बल्लारशाह तक पहुंचने में वर्तमान में प्रयोग किए जा रहे जबलपुर-नागपुर पथ की तुलना में लगभग 266 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ती है, लेकिन जबलपुर-गोंदिया के बीच रेलपथ दोहरीकरण योजना की धीमी चाल से उत्तर-दक्षिण के बीच ट्रेन यातायात बढ़ाने पर अड़ंगा लग गया है।
सबसे कम दूरी के इस रेलपथ पर दक्षिण के लिए तीन वर्ष में मात्र तीन ट्रेन ही आरंभ हुई है। यह भी सभी सप्ताहिक ट्रेन है। इससे पहले 238 किलोमीटर के जबलपुर-गोंदिया अमान परिवर्तन के कार्य की धीमी गति के कारण इस महत्वपूर्ण परियोजना को पूरा होने में 21 वर्ष लगे थे। अब रेलपथ दोहरीकरण योजना की चाल नहीं बढ़ी है। ऐसे में दक्षिण भारत तक इस छोटे रेलमार्ग से फटाफट यात्रा पूरी करने के लिए यात्रियों को कई वर्षों की और प्रतीक्षा करना पड़ सकता है।
जबलपुर-गोंदिया रेलखंड की स्थिति
नोट: तीन ट्रेन में भी एक ट्रेन ग्रीष्मकालीन विशेष के रूप में कुछ समय के लिए है।
अभी सर्वेक्षण में अटका रेलपथ दोहरीकरण
(नोट: रेलवे से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
यात्रा में बचेंगे चार से पांच घंटे
पहले ट्रेन चलने में, अब दूसरी लाइन का काम आरंभ होने में देर
जबलपुर-गोंदिया के बीच नैरोगेज ट्रेन ब्रिटिशकाल में आरंभ हुई थी। स्वतंत्रता के वर्षों बाद इस रेलमार्ग को ब्राडगेज बनाने का निर्णय हुआ। उसमें भी 238 किलोमीटर की परियोजना को पूरा होने में लगभग 21 वर्ष लग गए। उसके बाद इस रेलमार्ग में ब्राडगेज की सवारी के लिए भी यात्रियों को एक वर्ष तक प्रतीक्षा करना पड़ा। वर्ष 2020 में पूरी हुई परियोजना में दोहरीकरण को भी दो वर्ष बाद अनुमति मिल सकी। एकमुश्त अनुदान नहीं मिलने से सर्वेक्षण धीमा है। दोहरीकरण का कार्य आरंभ होने में ही अभी तीन-चार वर्ष लगने का अनुमान है।
कई राज्यों के बड़े शहरों के लिए लाभकारी है यह रेलमार्ग
प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, बनारस, दीनदयाल उपाध्याय, पटना जैसे शहरों से आकर जबलपुर के रास्ते चेन्नई, बैंगलुरू, सिकंदराबाद, विजयवाड़ा जाने वाली ट्रेनें अभी अपेक्षाकृत लंबे पथ से होकर चल रही है। जबलपुर-गोंदिया-बल्लारशाह छोटे रेलमार्ग से ट्रेन चलने से यात्रियों को किराया भी कम लगेगा। इस रेलपथ के दोहरीकरण से छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग, ओडिशा के विशाखापट्टनम, महाराष्ट्र के नागभीड़, वडसा जैसे शहराें तक रेल आवाजाही की सुविधा भी सुलभ होगी। दक्षिण भारत से नई दिल्ली के बीच ट्रेनों के संचालन के लिए भी एक वैकल्पिक रेलपथ उपलब्ध होगी।