जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रेलवे का जोन कार्यालय जबलपुर में होने के बाद भी शहर की पहचान सुदूर भारत तक नहीं पहुंच पा रही है। इसका कारण जबलपुर के जनप्रतिनिधियों को नेतृत्व न मिलना है। इसी वजह से जबलपुर के साथ कई साल से सौतेला व्यवहार हो रहा है। जगतगुरु डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज ने रेल मंत्री पीयूष गोयल के नाम एक पत्र लिखकर यह आरोप लगाया है।
उन्होंने लिखा कि यहां से जो गोंडवाना एक्सप्रेस चल रही थी, उसे भी छत्तीसगढ़ के हवाले कर दिया गया। जबकि छत्तीसगढ़ का गोंडवाना राज्य से कोई लेना-देना ही नहीं है। कई गाड़ियां आज भी जबलपुर से चल तो रही हैं, लेकिन उनकी पहचान जबलपुर से नहीं हो पा रही है। जबकि यहां के पर्यटन केंद्रों को इंगित करते हुए नाम दिया जा सकता है। कुछ ऐसी गाड़ियों को चलाने की जरूरत भी महसूस हो रही है, जिससे जबलपुर सीधे प्रमुख तीर्थ और धार्मिक स्थलों से जुड़ सकता है।
इन मांगों के साथ लिखा गया पत्र: रेल मंत्री पीयूष गोयल को याद दिलाते हुए जगतगुरु डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज ने पत्र में जिक्र किया है कि जबलपुर में प्रदेश सरकार द्वारा 'नर्मदा संदेश यात्रा का आयोजन ग्वारीघाट में किया गया था। जिसमें रेलमंत्री ने मंच से आश्वासन दिया था कि जबलपुर के लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा। इसी तारतम्य में पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि जबलपुर के ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित क्षेत्रों के नाम से यात्री ट्रेनों को चलाया जाए ताकि जबलपुर के पर्यटन क्षेत्रों एवं संस्कृति की खुशबू सुदूर भारत के कोने-कोने तक पहुंचे।
इन ट्रेनों का नामकरण करने दिया सुझाव
ट्रेन प्रस्तावित नाम
ओवरनाइट, एक्सप्रेस धुआंधार (भेड़ाघाट) एक्सपे्रस
जबलपुर-नागपुर एक्सप्रेस, जाबालिपुरम् एक्सप्रेस
जबलपुर-कोटा एक्सप्रेस, त्रिपुर सुंदरी एक्सप्रेस
जबलपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस, संस्कारधानी एक्सप्रेस
जबलपुर-निजामुद्दीन एक्सप्रेस, गोंडवाना एक्सप्रेस
तीर्थ क्षेत्र को मिले दो ट्रेनों की सौगात: रेल मंत्री से आग्रह है कि जबलपुर से दो नई ट्रेन जबलपुर से हरिद्वार (ट्रेन का नाम-रानी दुर्गावती एक्सप्रेस) और जबलपुर से जगन्नाथ पुरी (नर्मदा सागर एक्सप्रेस) प्रारंभ की जाएं।