जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। विभिन्न मांगों को लेकर क्रमिक अनशन कर रही मेडिकल कॉलेज अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अब भी मांगों को अनसुना किया गया तो वे मंगलवार से दो घंटे ड्यूटी से विरत रहेंगी। उसके बाद अनिश्चिकालीन हड़ताल की जिम्मेदारी शासन, प्रशासन की होगी।
नर्सों के आंदोलन के बीच आशा कार्यकर्ताओं ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है। वे भी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के विरोध में खड़ी हो गई हैं। नर्सेस एसोसिएशन मध्य प्रदेश की जिला शाखा अध्यक्ष हर्षा सोलंकी ने बताया कि नर्सों को उच्च वेतनमान न देकर सरकार विसंगति कर रही है। कोविड में सेवाएं देने वाली नर्सों को वेतन वृद्धि का लाभ भी नहीं दिया जा रहा। इसी तरह तमाम समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने में सरकार आनाकानी कर रही है। उन्होंने कहा कि मांगों को पूरा न किया गया तो प्रदेश के तमाम चिकित्सा महाविद्यालयों में हड़ताल की जाएगी। इधर, आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें मात्र दो हजार रुपये मानदेय मिल रहा है। सरकार से कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग की जा चुकी है।
आधुनिकीकरण के नाम पर निजीकरण का बढ़ावा दे रही सरकार: मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि आधुनिकीकरण के नाम पर सरकार चिकित्सा महाविद्यालयों में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। संघ के प्रदेश महामंत्री अजय कुमार दुबे ने कहा कि मेडिकल काॅलेजों में 113 पद चिन्हित किए गए हैं जिन्हें डाइंग कैडर में डाला जाना है।
सरकार ने इसके लिए कोशिश शुरू कर दी है। चपरासी, लिफ्टमैन, कुक, इलेक्ट्रीशियन हेल्पर, प्लंबर, आया बाई, सफाई कर्मी, फोन अटेंडेंट, माली, धोबी, वार्ड बॉय, ड्राइवर, सेनेटरी हवलदार, पंप ऑपरेटर समेत तमाम महत्वपूर्ण पदों को डाइंग कैडर में डालकर शासकीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम कर देगी। इस मुद्दे को लेकर हुई बैठक में संघ के जिलाध्यक्ष रविकांत दहायत, रामकुमार मेहरा, विपिन पीपरे, सहदेव रजक, संजय रजक, राजेंद्र चतुर्वेदी, महेंद्र साहू, विजय यादव, रविंद्र राय, अशोक कोटोवार, गणेश राय, वैद्यनाथ अय्यर, विश्वास लाजरस, मुनींद्र मिश्रा आदि ने कहा कि सरकार की इस कोशिश का पुरजोर विरोध किया जाएगा। जल्द ही आगामी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।