Jabalpur NGT News: जबलपुर, भोपाल, नईदुनिया प्रतिनिधि। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी भोपाल ने छतरपुर जिले के बक्सवाहा संरक्षित वन क्षेत्र में 2.15 लाख पेड़ों को काटने के संबंध में लगी दो याचिकाओं को मर्ज कर सुनवाई की। इन याचिकाओं की सुनवाई के बाद एनजीटी ने अपना फैसला सुनाया कि बिना वन विभाग की अनुमति के बक्सवाहा में एक भी पेड़ न काटा जाए।
ट्रिब्यूनल ने वन संरक्षण कानून 1980 का पालन कराने, टीएन गोधावर्मन कमेटी की गाइडलाइन का अनुसरण करने और भारतीय वन अधिनियम 1927 के नियमों के तहत कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। साथ ही प्रदेश सरकार को कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि फारेस्ट क्लीयरेंस के बगैर पेड़ न काटे जाएं। एनजीटी की डबल बेंच में जस्टिस श्योकुमार सिंह व अरुण कुमार वर्मा ने संयुक्त रूप से यह फैसला सुनाया है।
मालूम हो कि ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्र उज्ज्वल शर्मा द्वारा दायर एक याचिका व डॉ. पीजी नजपांडे द्वारा बक्सवाहा के जंगलों में अवैध कटाई को लेकर लगाई गई याचिका को मर्ज कर यह सुनवाई की गई थी।
यह है मामला
बक्सवाहा के 382.131 हेक्टेयर के वन क्षेत्र को एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नेतृत्व में बंडर हीरा खदान प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दी जानी है जो आदित्य बिड़ला समूह की एक इकाई है। माना जा रहा है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो यह एशिया की सबसे बड़ी हीरा खदान बन सकती है। हालांकि इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर चिंताएं पूरे देश में पर्यावरणविदों द्वारा उठाई जा रही हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस परियोजना के लिए प्रति वर्ष लगभग 5.3 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता होगी। छतरपुर क्षेत्र में पहले से मौजूद पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए, परियोजना के लिए पानी की अत्यधिक उच्च मांग अंतत: पारिस्थितिक असंतुलन का कारण बनेगी और उस क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों के लिए एक खतरा बन सकती है।
सुनवाई के दौरान प्रतिपक्ष ने तर्क दिया कि पर्यावरण मंजूरी और वन मंजूरी अभी तक केन्द्र सरकार के द्वारा प्रदान नहीं की गई है। हालांकि, एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ट्रिब्यूनल द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है कि वन विभाग की अनुमति के बिना किसी भी पेड़ को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
आवश्यक कागजात व जनहित याचिका की कॉपी अनावेदकों को मुहैया कराएं : जनहित याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया गया कि वे सभी आवश्यक कागजात व जनहित याचिका की कॉपी अनावेदकों को मुहैया कराएं। जिसके बाद अनावेदक चार सप्ताह के भीतर अपने जवाब प्रस्तुत करेंगे। अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी। तब तक हीरा खनन का सपना पालने वाली एस्सेल इंडस्ट्रीज कंपनी द्वारा पेड़ काटे नहीं जाएंगे। गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मंच द्वारा लगातार जनहित के मामलों को उठाया जा रहा है। इससे पहले नर्मदा में मिलने वालों को लेकर भी मंच ने याचिका दायर की थी। इस पर भी एनजीटी ने नगर निगम कमिश्नर को नालों को नर्मदा में मिलने से रोकने के निर्देश दिए थे।