जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रेलवे स्टेशन में यात्रियों को परोसे जा रहे गुणवत्ताहीन और महंगे खाने को लेकर नईदुनिया द्वारा चलाए जा रहे अभियान का असर स्टेशनों पर दिखने लगा है। जबलपुर रेल मंडल से लेकर पश्चिम अध्य रेलवे के अधिकारियों द्वारा न केवल जांच की जा रही है, बल्कि जबलपुर के साथ भोपाल और कोटा मंडल में भी वेंडरों का सत्यापन भी शुरू कर दिया गया है। वहीं प्लेटफार्म के स्टाल और जनआहार केंद्रों में कमर्शियल विभाग द्वारा खाने की जांच की जा रही है।
पश्चिम मध्य रेलवे ने अब यात्री और खाने के बीच की कड़ी वेंडर के असली और नकली की पहचान के लिए क्यूआरकोड युक्त आइकार्ड दिए जा रहे हैं। स्टेशन, स्टाल और ट्रेन में खाना बेंचने वाले वेंडरों के आइकार्ड में लगे क्यूआर कोड को मोबाइल से स्केन कर न सिर्फ जांच अधिकारी बल्कि यात्री भी उसकी संपूर्ण जानकारी मोबाइल पर देख सकेंगे। रेलवे का दावा है कि इससे अवैध वेंडरों पर रोक लगेगी। वहीं खराब खाना परोसने वाले वेंडर की जानकारी लेकर तत्काल उसकी शिकायत की जा सकेगी।
365 को दिए क्यूआरकोड लगे आइकार्ड : जबलपुर रेल मंडल की सीमा में 100 से ज्यादा रेलवे स्टेशन आते हैं। इनमें लगभग 20 से ज्यादा महत्वपूर्ण स्टेशन हैं। मंडल में कुल ढाई सौ से ज्यादा स्टाल हैं जिन्हें करीब 50 संचालक चला रहे हैं। रेलवे के मुताबिक इनमें एक हजार से ज्यादा वैध वेंडर हैं। इनमें से अब तक 365 वेंडर का सत्यापन हो चुका है। रेलवे ने इन सभी वेंडरों को क्यूआरकोड लगे आइकार्ड दे दिए हैं। इन वेंडरों को ड्यूटी के दौरान आइकार्ड पहनना होगा। न पहनने वाले वेंडर का कार्ड रद कर दिया जाएगा।
गर्म खाना ही यात्रियों को परोसना होगा : खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए जबलपुर रेल मंडल के कमर्शियल विभाग के सीनियर डीसीएम ने स्टाल संचालकों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट लहजे में कह दिया है कि खाने में गुणवत्ता और मात्रा में किसी तरह की कमी मिली तो रेलवे उनका टेंडर रद करने में जरा भी देरी नहीं करेगी। यात्रियों से मिले फीडबैक के आधार पर अंडा बिरयानी पर रोक लगाने के बाद यात्रियों को गर्म खाना परोसने के निर्देश दिए हैं।
ये किए गए बदलाव :
अभी: वेंडर के पुलिस सत्यापन और मेडिकल के लिए कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है।
अब: वेंडर को अब हर छह माह में अपना पुलिस सत्यापन और मेडिकल कराना होगा।
अभी: खानापूर्ति के तौर पर हर माह वेंडर का वेरीफिकेशन होता है।
अब: हर छह माह में होगा, संचालक तीन बार ही वेंडर बदल सकता है।
अभी: स्टाल से लिए जाने वाले सैंपल में सीएचआइ की मनमर्जी चलती है।
अब: अब स्टाल से लिए जाने वाले सैंपल की समय सीमा तय होगी।
सात स्टेशनों पर पहुंची जांच टीम, स्टालों में परखा खाना : मंडल के सात प्रमुख स्टेशनों पर खाने के स्टाल और वेंडर की जांच की गई। इस दौरान खाने की गुणवत्ता में कमी मिलने पर जांच अधिकारियों ने वेंडर और संचालक के खिलाफ जुर्माना लगाया। मंडल में खाने की जांच के लिए चलाए जा रहे अभियान में अब तक 50 हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा चुका है। वहीं खराब खाना परोसने और वेंडर द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देने के बाद कमर्शियल विभाग ने विशेष वितरण केंद्र और मेघना राजेंद्र कुमार फर्म का लाइसेंस पिछले सप्ताह सस्पेंड कर दिया था। निरीक्षकों द्वारा स्टेशनों पर खाद्य सामग्री के नमूनों की जांच कर उसकी गुणवत्ता तथा सामग्री के मूल्य की जांच की जा रही है। वाणिज्य प्रबंधक सुनील श्रीवास्तव तथा सहायक वाणिज्य प्रबंधक पंकज कुमार दुबे के नेतृत्व में जांच टीमों ने जबलपुर, मदन महल, कटनी, नरसिंहपुर, गाडरवारा, सतना, दमोह, सागर आदि स्टेशनों पर खाद्य सामग्रियों की जांच की। इस दौरान अधिकारियों ने खाद्य सामग्री बेचने वाले को निर्देश दिया कि वे हमेशा उच्च गुणवत्ता की सामग्री उचित मूल्य पर ही रेल यात्रियों को बेचें।
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जबलपुर, सतना और कटनी में वेंडरों का सत्यापन किया जा रहा है। नए नियम में अब वेंडर को हर छह माह में पुलिस सत्यापन कराना होगा। खाने की गुणवत्ता की शिकायत मिलने पर संचालक का टेंडर लाइसेंस भी रद किया जा सकता है।
-विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल