जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भारतीय रेल में इंटरमीडिएट ब्लॉक सिगनलिंग व्यवस्था (आईबीएस प्रणाली) से डबल लाइन सेक्शन पर रेलखंड क्षमता बढ़ाने के लिए की जाती है। आईबीएस एक लंबी रेल खंड को दो खंडों में विभाजित कर ज्यादा रेल गाड़ियां चलाई जा सकती है।

वर्ष 2021-22 में पश्चिम मध्य रेल ने बगरतावा-गुरमखेड़ी रेलखण्ड और कटंगिखुर्द-सलहना रेलखण्ड पर 02 आईबीएस पहले ही स्थापित कर दिये हैं। जबलपुर मण्डल के टिकरिया-मझगवां रेलखण्डों में नये आईबीएस स्थापित किये गये है। अर्थात पमरे ने वर्ष 2021-22 में अब तक कुल 03 इंटरमीडिएट ब्लॉक सिगनल (आईबीएस) प्रणाली स्थापित कर दिया गया है।

इससे इन खंडों के सेक्शन क्षमता में वृद्धि होगी एवं ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी। आईबीएस में ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट की आवश्यकता नहीं होती है तथा नहीं स्टेशन मास्टर और ऑपरेटिंग स्टाफ की आवश्यकता होती है जिससे ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट, स्टेशन बिल्डिंग और ऑपरेटिंग स्टॉप पर होने वाले खर्च की बचत होती है। यह पूर्णत: इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर आधारित है। आईबीएस प्रणाली रेलगाड़ियों की निकटता को कम से कम करती है और ट्रेन की गति को बढ़ाती है, जिससे समय की बचत होती है. रेलवे ने ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए ट्रैक पर आधुनिक सिग्नल लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस दौरान जबलपुर मंडल के कई रेलवे ट्रैक को चिन्हित किया गया है । जहां पर इन सिग्नल को लगाने का काम तेज गति से चल रहा है । इससे ट्रेनों की ना सिर्फ रफ्तार बढ़ेगी बल्कि यात्रियों के सफर का समय भी कम होगा। इस तरह की अन्‍य सुविधाएं रेलवे द्वारा देकर रेलवे सेवा में सुधार कर रहा है।

Posted By: Ravindra Suhane

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