नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। झमाझम बरसात के बाद अब मौसम सामान्य होने लगा है। पिछले तीन दिनों के दौरान बारिश का दौर थमने से तापमान भी अब बढ़-घट रहा है। इधर मौसम में अभी भी आसमान में बादल छाए हैं, लेकिन घने और काले बादलों का डेरा थोड़ा आगे निकल गया है, लेकिन मौसम विभाग के जानकारों के मुताबिक अभी मध्यप्रदेश के पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों में बरसात का दौर धीमा हो गया है, लेकिन तीन से चार दिनों बाद यह फिर बढ़ेगा।
इस बीच अधिकतम तापमान 29 डिग्री रहा, जो सामान्य से एक डिग्री कम था वहीं न्यूनतम तापमान 24 डिग्री पर रहा। इसके साथ ही मौसम विभाग के अनुसार इन दिनों मानसून ट्रफ कानपुर, वाराणसी, झारखंड व आस-पास के क्षेत्रों में बने कम दाब के क्षेत्र के केंद्र से होकर दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी के पूर्व-मध्य तक गुजर रही है। एक ट्रफ उत्तर प्रदेश की तरफ फैला है। वहां से आ रही नमी के कारण इसी तरह बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।
शहर में बारिश थमते ही लोगों को जहां राहत की उम्मीद थी, वहीं अब शहर की जर्जर सड़कें नई परेशानी का सबब बन गई हैं। लगातार बारिश के कारण खराब हुई सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, और पानी सूखने के बाद अब इन गड्ढों से उड़ती धूल राहगीरों और वाहन चालकों के लिए दोहरी समस्या पैदा कर रही है।
शहर के दो प्रमुख पुलों, शास्त्री ब्रिज और कछपुरा ब्रिज, पर स्थिति ज़्यादा खराब है। इन पुलों पर सड़क का डामर उखड़ गया है और बारीक गिट्टी के कण निकल रहे हैं, जिससे वाहन गुजरते ही धूल का गुबार बन रहा है। शास्त्री ब्रिज पर हर दिन 25 हज़ार से ज़्यादा वाहन गुजरते हैं।
बारिश में यहां गड्ढों में पानी भरा रहता था, लेकिन अब धूल के महीन कणों से वाहन चालकों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। यहां रहने वाले शांतनु गुप्ता का कहना है कि सड़क पर चलना किसी जंग से कम नहीं है, हर दिन दुर्घटना का डर बना रहता है। उन्होंने नगर निगम प्रशासन से जल्द से जल्द मरम्मत कार्य शुरू करने की मांग की।
करीब पांच सौ मीटर लंबे कछपुरा ओवरब्रिज पर भी सैकड़ों गड्ढे हो गए हैं। यहां हर दिन 15 हजार से ज़्यादा वाहन निकलते हैं। सुबह-शाम टहलने वाले लोगों के लिए भी यह धूल सेहत के लिए जोखिम भरी साबित हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर बारिश से पहले सड़कों की मरम्मत की जाती तो यह स्थिति नहीं आती।
नगर निगम और लोक निर्माण विभाग ने अभी तक कोई पहल नहीं की है और उनका कहना है कि वे बारिश से खराब हुई सड़कों का डेटा जुटा रहे हैं ताकि एक साथ मरम्मत का काम किया जा सके। वहीं अन्य सड़कों की भी स्थिति खराब हो गई है।