जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
देश में कुछ राज्य ऐसे हैं, जो अपने राज्य के निवासियों की मदद करने आगे नहीं आए। ताजा उदाहरण जबलपुर में भी देखने मिला हैं। 18 मई को जबलपुर से बिहार जाने वालों के लिए ट्रेन रवाना होगी। इस ट्रेन में सफर करने के लिए लगभग 1 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्हें ट्रेन का टिकट यानी किराया खुद ही वहन करने कहा गया है। पहले वो 510 रुपए किराया देंगे उसके बाद बिहार पहुंचने के बाद उन लोगों को वहां की सरकार उतनी राशि वापस करेगी। यह जानकारी जिला प्रशासन के स्तर पर मिली है। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार ने इससे बेहतर कार्य किया है। दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, प्रवासी लोगों के लिए निशुल्क ट्रेन व बस की व्यवस्था कराई है।
500 रुपए किराया लगेगाः
- जिला प्रशासन के द्वारा यहां अटके व बिहार जाने का आवेदन कर चुके लोगों से संपर्क किया गया है। उन्हें इस बात की जानकारी दी गई है कि लगभग 510 रुपए का फेयर उन्हें खुद ही वहन करना होगा। यह खर्च उठाने के लिए अधिकांश यात्री तैयार भी हो चुके हैं। इनमें से कुछ छात्र है तो कोई यहां नौकरी करने आए थे। हालांकि मजदूरों की संख्या फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सकी। खास बात यह है कि स्टेशन पर टिकट काउंटर खोला नहीं जाना है। फिर टिकट कहां से कटेगी और फेयर चार्ज स्टेशन पर कौन लेगा। फिर भी फेयर लिया जाएगा।
हजारों आ चुके नहीं लगा किरायाः
- मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों व प्रवासियों को प्रदेश में वापस लाने का काम किया है। बसों की व्यवस्था भी की गई। लेकिन दूसरे राज्य से प्रदेश तक आने वालों को किसी तरह का किराया या कोई शुल्क नहीं लिया गया। यहां तक की वापसी के बाद उनकी जांच भी निशुल्क की गई। जो संक्रमित मरीज मिले उनका इलाज भी सरकारी सिस्टम के तहत ही किया गया है।
यहां भी फेल दूसरे राज्यः
- गुरुवार की रात 10 बजे के बाद पंजाब से आए मजदूरों के दल को छत्तीसगढ़ तक भेजने के लिए जिला प्रशासन ने बस मुहैया कराई। ये सभी पैदल ही जिले की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। मंडला जिले में बार्डर तक उन सभी मजदूरों को बस से भेज दिया गया। नियम है कि सिर्फ प्रदेश की सीमा तक ही बस जाएंगी। उसके बाद दूसरे प्रदेश की सीमा से उनकी बसों के जरिए मजदूर रवाना होंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ की सीमा पर मजदूरों को कोई बस नहीं मिली। उन्हें ट्रक के जरिए ही बैमेतला जिले तक जाना पड़ा।
........
बिहार तक जाने के लिए पहले आवेदन किया था। यहां रहकर पढ़ाई कर रहा हूं। वैसे किराया देने में कोई दिक्कत नहीं है। जैसे तैसे अपने जिले तक पहुंच जाए, यह ज्यादा जरूरी है।
-प्रीतम, बिहार निवासी व जिले में अध्ययनरत छात्र
.....
बिहार जाने वालों के लिए यह अच्छा अवसर है। अभी उनसे किराया जरूर लिया जा रहा है, लेकिन बिहार सरकार वहां पहुंचने पर वह किराया वापस करेगी। जो भी लोग जाने की इच्छुक हैं, वो रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
-भरत यादव, कलेक्टर