जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि, Jagannath Puri Rath Yatra 2021। आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को भगवान जगन्नाथ स्वामी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने रथ में निकलेंगे। कोरोना के कारण गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी मंदिरों में सीमित दायरे में ही पूजन होगा। ऐसे में भगवान को प्रतीकात्मक रूप से रथ में स्थापित किया जाएगा। सार्वजनिक आयोजन न होने के कारण भक्तों को भी दर्शन के लिए गाइड लाइन का पालन करना होगा।
साहू समाज 131 साल से निकाल रहा रथयात्रा: वात्री साहू समाज के तत्वावधान में श्री जगदीश स्वामी कर्मा माई शंकर भगवान मंदिर ट्रस्ट द्वारा 131 वर्षों से भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र एवं देवी सुभद्रा की रथयात्रा निकाली जा रही है। इस वर्ष रथयात्रा का 132 वां वर्ष होगा लेकिन पिछले वर्ष की तरह कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए रथयात्रा नहीं निकाली जाएगी। साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक के अस्थायी मंदिर परिसर में ही सीमित सदस्यों के साथ सांकेतिक यात्रा निकालकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भगवान को विराजित किया जाएगा। जहां प्रतिदिन उनके दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि साहू समाज की गौरव भक्त शिरोमणि मां कर्मा देवी के हाथों बनी खिचड़ी खाने भगवान मंदिर के छप्पन भोग छोड़कर मंदिर के बाहर आते थे और मां कर्मा के हाथों से खिचड़ी खाते थे। एक बार जब भगवान को भोग लगाया गया और जब लोगों ने इस बात पर विश्वास नही किया कि भगवान एक तेलन के हाथों से खिचड़ी खाते हैं तो लोगों ने कर्मा देवी से सबूत मांगा। उसी समय भगवान को भोग लगाया गया किंतु उन्होंने भोग ग्रहण नहीं किया तब देवी कर्मा ने भोग में खिचड़ी लगाई और भगवान ने भोग ग्रहण किया तब से लोग मां कर्मा देवी को भगवान की अनन्य भक्त मानने लगे।
समाज की परंपरा को बढ़ाया आगे: मां कर्मा और साहू समाज के प्रति भगवान की कृपा के चलते साहू समाज द्वारा जबलपुर में 132 वर्ष पूर्व रथयात्रा प्रारम्भ की गई। समाज के लोगों के अनुसार सर्वप्रथम किसने यह यात्रा प्रारंभ की यह तो ज्ञात नही है किंतु जिन बुजुर्गों ने इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया उनमें साहू समाज के वरिष्ठ आमान वीरन चौधरी, हीरालाल भगत, स्व. लल्लू मेहते, स्व. चौधरी वीरनलाल साहू, स्व. चौधरी दुलीचंद साहू, स्व. कोठिया लल्लूलाल साहू, स्व. सरतारे लाल साहू आदि द्वारा समाज की परंपरा को आगे बढ़ाया गया। उसके बाद समाज के युवा सदस्यों ने रथयात्रा को और अधिक भव्य स्वरूप प्रदान किया।
गढ़ाफाटक में विराजमान हैं भगवान : भगवान जगन्नाथ स्वामी का मंदिर घमंडी चौक में स्थित है जिसका संचालन समाज के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। मंदिर का नवनिर्माण होना है इसीलिए अभी भगवान साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक में विराजमान हैं। इसके पूर्व 130 वर्षों तक रथयात्रा अनवरत जारी है। घमंडी चौक स्थित मंदिर से भगवान की रथयात्रा प्रारम्भ होती थी जो चरहाई, बड़ा फुहारा, कमानिया, सराफा, मिलौनीगंज चौक, घोड़ा नक्कास, हनुमानताल होते हुए बड़ी खेरमाई मंदिर में समाप्त होती थी जहां स्थित सिंहवाहिनी मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ 13 दिनों तक विराजमान रहते थे और ऐसा माना जाता है कि भगवान रथयात्रा के माध्यम से अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं और फिर अपनी मौसी के घर आराम करते जहां उन्हें नए और स्वादिष्ट व्यजनों का भोग लगाया जाता है।
यह है विशेषता : भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की प्रतिमा उड़ीसा की उसी लकड़ी से बनी है जिससे जगन्नाथ पूरी की प्रतिमा बनी है। जबलपुर में निकलने वाले रथों में यह सबसे बड़ा रथ है। जगन्नाथ पुरी की तरह ही रथयात्रा के 14 दिन पूर्व से भगवान बीमार होते हैं और उन्हें औषधि दी जाती है।
बंगाली क्लब में इस वर्ष रथ यात्रा प्रतीकात्मक होगी : सिटी बंगाली क्लब प्रांगण में ही रथ को घुमाकर भगवान को मौसी के घर ले जाया जाएगा। 12 जुलाई से 19 जुलाई तक रोजाना पूजा अर्चना होगी। रथ यात्रा में आम नागरिक शामिल नहीं हो सकेंगे। कोविड को देखते हुए सहयोग की अपील की गई है।
जगन्नाथ स्वामी की होगी महाआरती : प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ स्वामी का पूजन अर्चन स्वामी नरसिंहदास के नेतृत्व में जगदीश मंदिर गढ़ाफाटक एवं साहू समाज में पूजन अर्चन सुबह 11 बजे महाआरती के साथ संपन्न होगा । श्री सनातन धर्म महासभा के तत्वावधान में प्रभारी संयोजक डॉ. सुधीर अग्रवाल, अध्यक्ष श्याम साहनी, अशोक मनोध्या, गुलशन माखीजा, पप्पन मिश्रा, प्रवेश खेड़ा, विष्णु पटेल ने सभी धर्मावलंबियों से उपस्थिति की अपील की है।