
LockDown in Jabalpur : पंकज तिवारी, जबलपुर। लॉकडाउन में नर्मदा नदी का नया रूप दिख रहा है। स्वच्छ और निर्मल नर्मदा। खुली आंखों से तो नर्मदा की निर्मलता साफ झलक रही है। विज्ञानियों ने भी स्वच्छता पर मुहर लगा दी है। जांच में जो नतीजे मिले वह पिछले 20 साल में सबसे बेहतर हैं। विज्ञानियों का कहना है कि एक माह के लॉकडाउन में ही बीओडी आधी हो गई है। वहीं कुल घुलित पदार्थ भी कम हो गया है। ये दोनों ही नतीजों से साफ है कि कमर्शियल सीवेज, नहाने-धोने से नदी में भारी प्रदूषण हो रहा था।
ऐसे समझे स्वच्छता को
बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड)
नदियों में आर्गेनिक वेस्ट, सीवेज मिलने से बीओडी का स्तर बढ़ता है। मंडला से जबलपुर के बीच 13 पॉइंट पर जांच हुई। मार्च 2020 तक इसका स्तर प्रति मिलीग्राम 1.8 या 1.9 प्रति मिलीग्राम तक रहा। वह अप्रैल 2020 की जांच में 0.7 से 1 प्रति मिलीग्राम तक आ गया।
टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड)
पानी में घुले ठोस पदार्थ इसमें खनिज, धातु, अनाज या अन्य पदार्थ शामिल होता है। सामान्यतः नर्मदा जल में इसकी मात्रा 200 से 350 मिलीग्राम प्रति लीटर मिलती थी। लॉकडाउन में अप्रैल 2020 में ये 150 से 200 मिलीग्राम प्रति लीटर मिली है। ये जितना कम होता है पानी उतना ही शुद्घ माना जाता है।
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लॉकडाउन से नर्मदा में प्रदूषण बहुत कम हो गया है। जांच नतीजे ही इसकी हकीकत बता रहे हैं। पिछले 20 साल में इतने अच्छे नतीजे नहीं मिले हैं। बीओडी और टीडीएस में कमी अच्छे संकेत हैं। आगे भी स्वच्छता बनी रहे, इसके प्रयास मिलकर करना होगा। -डॉ. एसके खरे, वरिष्ठ विज्ञानी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड