जबलपुर प्रशासन ने माना- e-Rickshaw बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं, स्कूल ले जाने-लाने पर रोक, उल्लंघन हुआ तो चालक पर भी कार्रवाई
e-Rickshaw For School Children: शहर के कई स्कूल के छात्र-छात्राओं को घर से स्कूल लाने-ले जाने के लिए ई-रिक्शा का इस्तेमाल होता है। यह बच्चों के लिए असुरक्षित माना जा रहा है। इनके पलटने का डर ज्यादा रहता है।
Publish Date: Thu, 24 Jul 2025 01:58:45 PM (IST)
Updated Date: Thu, 24 Jul 2025 02:02:04 PM (IST)
यह समस्या भोपाल या जबलपुर ही नहीं, मध्य प्रदेश के सभी बड़े शहरों की है। (फाइल फोटो)HighLights
- भोपाल के बाद जबलपुर में भी प्रतिबंध
- कलेक्टर दीपक सक्सेना का आदेश
- 10 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा जबलपुर में
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर: भोपाल जिला प्रशासन ने बच्चों की चिंता की और ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल लेजाने और लाने पर रोक लगा दी। नईदुनिया में खबर प्रकाशित होने के बाद जबलपुर जिला प्रशासन ने भी ई-रिक्शा (e rickshaws in Jabalpur) को स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए असुरक्षित माना।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने ई-रिक्शा में स्कूली बच्चों के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूल और ई-रिक्शा चालक पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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जबलपुर में 10 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा
- प्रशासन ने तर्क दिया कि वर्षा में जर्जर सड़क पर ई-रिक्शा पलटने का खतरा होता है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। बता दें कि जबलपुर में 10 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। सैकड़ों ई-रिक्शा स्कूलों से बच्चों को हर दिन लाते-ले जाते हैं।
नईदुनिया ने 22 जुलाई को "भोपाल में प्रतिबंध, जबलपुर में धड़ल्ले से स्कूली बच्चे ले जा रहे ई-रिक्शा" शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। कलेक्टर सक्सेना ने भरोसा दिया था कि परीक्षण के पश्चात ई-रिक्शा से बच्चों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
इसके बाद कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत ई-रिक्शा को स्कूली बच्चों के परिवहन लायक नहीं मानते हुए प्रतिबंध लगाया है। बता दें कि आरटीओ में 18 हजार से अधिक ई-व्हीकल पंजीकृत हैं, जिनमें लगभग 10 हजार ई-रिक्शा शामिल हैं। पैसे बचाने के चक्कर में जान से खिलवाड़
प्रशासन और जिला परिवहन विभाग ने वैन और बस को स्कूली बच्चों के लिए परिवहन के लिए चिन्हित किया हुआ है, लेकिन थोड़ा खर्च बचाने के लिए अभिभावक ई-रिक्शा से बच्चों को भेज देते हैं। इस मामले में न स्कूल प्रशासन और न ही जिला प्रशासन ने कोई पहल की। स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से भी बच्चों के परिवहन को लेकर कोई स्पष्ट गाइडलाइन प्रसारित नहीं की गई ताकि अभिभावक भी जागरूक बने।
क्यो पलटते हैं ई रिक्शा
- ई रिक्शा का निर्माण लागत कम करने के लिए हल्के आयरन मटेरियल और प्लास्टिक का उपयोग होता है इससे जमीन पर पकड़ कमजोर होती है।
- तीन पहिए पर चलने और गति तेज होने पर ई रिक्शा का संतुलन बिगड़ जाता है।
- स्थानीय स्तर पर ई रिक्शा की डिजाइन तैयार होती है इसमें सुरक्षा के मापदंड भी पूरे नहीं होते हैं इसलिए तेज गति में संतुलन बिगड़ जाता है।
- ब्रिकी बढ़ने की वजह से स्थानीय स्तर पर ई रिक्शा को तैयार किया जा रहा है जिस वजह से हल्का माल लगाकर कम कीमत करने का प्रयास होता है इस वजह से कमजोर गुणवत्ता वाली सामग्री लगाई जाती है।
- ई-रिक्शा एक हल्का और तीन पहियों वाला वाहन है, जो बारिश, गड्ढे, कीचड़ जैसी परिस्थितियों में पलटने का खतरा बढ़ा देता है।
- इनमें सीट बेल्ट या इमरजेंसी सेफ्टी फीचर्स नहीं होते, और चालकों को विशेष प्रशिक्षण भी नहीं मिलता।
- अन्य शहरों में इसी तरह के वाहनों से बच्चों के साथ दुर्घटना की घटनाएं दर्ज की गईं, जिन्हें देखकर भविष्य में हादसों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया।