जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी का डेटा पेश कर दिया है। इस डेटा में कुल स्वीकृत पद 3,21,944 में से ओबीसी वर्ग को महज 43,978 पद यानि 13.66 प्रतिशत आरक्षित बताया गया हैै।
उक्त जानकारी हाई कोर्ट में राज्य शासन की ओर से ओबीसी का पक्ष रखने के लिए 14 सितंबर, 2021 को राज्यपाल द्वारा आदेश जारी कर नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने दी।
ओबीसी मामलों में 38 बार हो चुकी है सुनवाई, अगली सुनवाई 16 अगस्त को :
उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित कई मामले विचाराधीन हैं।इन प्रकरणों में 2019 से अब तक लगभग 38 बार सुनवाईयां हो चुकी हैं।यह मामला 16 अगस्त, 2022 को फाइनल हियरिंग के लिए निर्धारित किया गया है। इन्हीं मामलों की सुनवाई के दौरान विशेष अधिवक्ता की हैसियत से सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप ओबीसी आयोग का गठन कर डेटा एकत्र किए जाने के सुझाव सहित पत्र लिखकर शासकीय सेवाओं में ओबीसी के प्रतिनिधित्व के डेटा एकत्र कर हाई कोर्ट में प्रस्तुत किए जाने पर बल दिया गया था।
ओबीसी आयोग की रिपोर्ट अब तक हाई कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुई :
अधिवक्ता सिंह व प्रसाद ने बताया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप ओबीसी आयाेग का गठन कर डेटा एकत्र किए जाने का सुझाव दिया गया था। ओबीसी के प्रतिनिधित्व से संबंधित यह डेटा हाई कोर्ट में पेश करने पर भी बल दिया गया था। जिसके बाद हाई कोर्ट ने निर्देश जारी किए थे। इसी के परिपालन में राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने डेटा एकत्रीकरण को गति दी थी।अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट अब तक हाई कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुई है।
कमलनाथ सरकार ने जनसंख्या का शिवराज सरकार ने प्रतिनिधित्व का डेटा पेश किया :
अधिवक्ता सिंह व प्रसाद से बताया कि मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने जनसंख्या का डेटा प्रस्तुत किया था। जबकि मौजूदा शिवराज सरकार ने प्रतिनिधित्व का डेटा पेश किया है।मंडल कमीशन की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश में 1994 में पहली बार ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। संपूर्ण देश में ओबीसी को 1990 से 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है किंतु मध्य प्रदेश में ओबीसी को महज 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है।