नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण(कैट) के आदेश के विरुद्ध आर्डनेंस फैक्टरी जबलपुर की ओर से दायर की गईं 30 याचिकाएं आधारहीन पाकर निरस्त कर दीं। कोर्ट ने आधारहीन याचिकाएं दायर करने के रवैये को आड़े हाथों लेकर केंद्र सरकार पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
हाई कोर्ट के ताजा आदेश से आयुध निर्माणियों में कार्यरत कर्मियों को राहत मिली है। दरअसल, छठे वेतनमान में प्रविधान किया गया था कि कर्मचारियों के ओवरटाइम की गणना में हाउस रेंट अलाउंस, ट्रैवलिंग अलाउंस एवं स्माल फैमिली अलाउंस की गणना भी की जाए, लेकिन, 2006 से छठे वेतनमान के लागू होने के बाद ओवर टाइम की गणना में इन अलाउंस को आयुध निर्माणियों ने शामिल नहीं किया था।
इसी विसंगति को लेकर मध्य प्रदेश की आयुध निर्माणियों के कर्मियों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के समक्ष याचिका दायर की थी। कैट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए आर्डनेंस फैक्ट्री प्रशासन को तीन माह में प्रविधान के तहत भुगतान करने का आदेश दिया था।
जबलपुर स्थित आर्डनेंस फैक्टरी की फील्ड यूनिट ने उक्त आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में 30 याचिकाएं दायर की थीं। गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने प्रत्येक याचिका के लिए केंद्र सरकार पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि कर्मचारी कल्याण कोष में जमा कराई जाएगी।