Mahamrityunjaya Jap News: जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय का एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की गई है। इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियां तथा अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है इस मंत्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है। इस मंत्र का जप करने से जीवन में कई तरह का लाभ होता है।
मार्कण्डेय धाम तिलवारा के पंडित विचित्र महाराज बताते हैं कि यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जप करें। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जप करने के लिए रात 2 से 4 बजे का समय सबसे उत्तम माना गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे बताते हैं कि स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का लगातार जप करते रहने से स्वास्थ्य-लाभ होता है। जब किसी की अकाल मृत्यु किसी घातक रोग या दुर्घटना के कारण संभावित होती हैं तो इससे बचने का एक ही उपाय है – महामृत्युंजय साधना।
- राशि अनुसार के अनुसार भी महामृत्युंजय मंत्र जप किया जाता है।
- मारकेश ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा में महामृत्युंजय का उपयोग फलदायी है।
- मृतसंजीवनी मंत्र ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ।
- देवता मंत्रों के अधीन होते हैं- मंत्रधीनास्तु देवताः।
- महामृत्युंजय शिव षड्भुजा धारी हैं, जिनमें से चार भुजाओं में अमृत कलश रखते हैं, अर्थात वे अमृत से स्नान करते हैं। अमृत का ही पान करते हैं एवं अपने भक्तों को भी अमृत पान कराते हुए अजर-अमर कर देते हैं। इनकी शक्ति भगवती अमृतेश्वरी हैं।
वेदोक्त मंत्र :
महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र यह है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
इस मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और इसी मंत्र में ॐ’ लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं।
- इसे ‘त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं। श्री वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात शक्तियां निश्चित की हैं
- महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है।
- हिन्दू धर्म में इस मंत्र को प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र कहा जाता है।
मान्यता है कि प्रिय महामृत्युंजय मंत्र से शिवजी को प्रसन्न करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। इस मंत्र को सिद्ध करने वाला जातक निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त करता है।
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