Jabalpur News : नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर । कोरोना काल के बाद कई उद्योग बंद हो गए तो कईयों की नौकरी भी चली गई, पर इस मुश्किल की घड़ी में कई ऐसे युवा भी थे, जिन्होंने अपना मनोबल टूटने की बजाए और मजबूत कर किया और खुद का काम शुरू करने के लिए स्टार्टअप शुरू किया। एेसे ही जबलपुर के सिहाेरा से लगे पान उमरिया में रहने वाले अभय सिंह लाेधी युवा हैं, जिन्होंने हाल ही में इंदौर से अपनी बीटेक की डिग्री पूरी की, लेकिन इस दौरान उन्होंने खुद का स्टार्टअप शुरू कर ड्रोन की सेवा देने से लेकर इन्हें तैयार करने का काम किया।
जल्द ही अभय अपनी खुद की कंपनी शुरू कर रहे हैं। इसमें खास बात यह है कि एक ओर जहां देश में ड्रोन बनाने के सख्त नियम के चलते जबलपुर शहर के कई ड्रोन निर्माता, शहर और देश छोड़कर अन्य देश में अपना स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं, वहीं अभय ने सभी नियमों पर खरा उतरकर ड्रोन निर्माण कंपनी खड़ी कर ली है। अभय, उन युवाओं में सुमार हैं, जिन्होंने अयोध्या सिटी से लेकर रेलवे लाइन बिछाने से पूर्व मैपिंग को काम किया।
अभय बताते हैं कि वह एक छोटे से गांव से हैं, जहां पर युवा ज्यादातर अपना समय पढ़ाई और नौकरी करने में लगाते हैं, वहां मैंने अपना समय पढ़ाई के साथ कमाई करने की बजाए खुद का काम शुरू करने में लगाया। मेरा शुरू से ही ड्रोन के प्रति खास आकर्षण था। यही वजह थी कि मैं हमेशा यूथट्यूब और इंटरनेट में मौजूद अन्य वेबसाइट के जरिए ड्रोन से जुड़े हर छोटे-बड़े अनुसंधान, बदलाव और तकनीक काे समझा और उस पर काम किया। इस बीच मुझे इंदौर के एक निजी इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक करने का अवसर मिला। इस बीच मैंने अपनी पढ़ाई के साथ शुरू किए स्टार्टअप को बढ़ाने का काम भी किया। जबलपुर के स्मार्ट सिटी के साथ जुड़कर भी काम किए। अभय बताते हैं कि वे ड्रोन तैयार करने की कंपनी बनाना चाहते थे और उन्होंने बना भी ली है।
इन दिनों अभय हल्के ड्रोन ही तैयार करते है, जो ज्यादातर मैपिंग के काम आता है। इनका वेट 250 ग्राम से भी कम है। इस वजह से यह ड्रोन पालिसी में भी सही बैठता है। इससे अधिक वेट के ड्रोन तैयार करने के लिए डीजीसीए में पंजीयन कराना होता है, हालांकि उन्हें जल्द ही अधिक वेट के ड्रोन तैयार करने के लिए डीजीसीए से स्वीकृति भी मिल जाएगी। इसके लिए उन्होंने वहां पर पंजीयन कराने के लिए आवेदन भी कर दिया है। अभय बताते हैं कि वे जल्द ही ड्रोन की श्रृंखला में एक नया ड्रोन तैयार करने पर काम किया है। जो मेक इन इंडिया के सभी मापदंड काे पूरा करेगा। इसका नाम हमने एरिक्स दिया है। यह ड्रोन , शैक्षिक प्रशिक्षण और व्यावसायिक फोटोग्राफी दोनों जरूरतों को पूरा करेगा। वे बताते हैं कि हम ड्रोन के लिए सॉफ़्टवेयर भी तैयार कर रहे हैं।
स्टार्टअप शुरू करने वाले अभय जैसे शहर में कई युवा हैं, जो इन दिनों ड्रोन में ही काम कर रहे हैं। इनकी मदद भी की जा रही है। अभय द्वारा तैयार किए गए ड्रोन, साफ्टवेयर, पार्ट्स का आठ पेटेंट मिले हैं। यह पेटेंट उसे अास्ट्रेलिया, साउथ आफ्रिका, यूके, जर्मनी में मिले। इसके पेटेंट के जरिए ही अब नए ड्रोन तेयार किए जा रहे हैं। अभय बताते हैं कि केवल मुझे ड्रोन के निर्माण से संतुष्ट नहीं मिली। इस वजह से मैंने मेक इन इंडिया को लेकर पहल करते हुए वैश्विक ड्रोन क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करने के मिशन पर कर रहा हंू। मैं जल्द ही अपनी कंपनी के जरिए युवाओं को ड्रोन बनाने और उड़ाने का भी प्रशिक्षण दूंगा, ताकि तकनीक दूसरों तक पहुंचे।