Jabalpur News : नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। शहर की ‘लाइफ लाइन’ कहे जाने वाली मेट्रो बसों के पहिये गुरुवार को थमे रहे। 70 से ज्यादा मेट्रो बसें सड़कों से नदारत रहीं। नागरिकों को सुलभ व सस्ती परिवहन सेवा उपलब्ध करा रहे नगर निगम के जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड द्वारा संचालित करीब 85 मेट्रों बसों में से रांझी रूट पर आठ से 10 बसें चलीं। शहरी सीमा में बसों का संचालन करने नया रूट तैयार करेगा जिसमें तकरीबन 10 दिन लगेंगे।
जबलपुर सहित आस-पास के 14 रूटों पर बसों का संचालन ठप रहा। बसों बसें न चलने से रोजाना सफर करने वाले हजारों यात्रियों के अलावा पनागर, भेड़ाघाट, बरगी, शहपुरा क्षेत्र की बड़ी आबादी प्रभावित रही। मेट्रो बस स्टाप पर बसों से रोजाना सफर करने वाले नौकरी पेशा, मजदूर वर्ग, कालेज विद्यार्थी सहित बाहर से आने वाले पर्यटक भी बसों का इंतजार करते देखे गए। बहुत देर तक इंतजार करने के बाद भी जब बसें नहीं आईं तो मजबूरन आटो, ई-रिक्शा से अपने गंतव्य की और रवाना हुए। मेट्रो बसें न चलने से आटो, ई-रिक्शा चालकों की भी पौ-बारह रही। चालकों ने यात्रियों से मनमाना किराया वसूला। भेड़ाघाट जाने वाले बाहर से आए पर्यटक निजी वाहन कर अपनी मंजिल तक पहुंचे।
नागरिकों को सस्ती व सुलभ परिवहन सेवा के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकि आने वालेे दिनों में भी मेट्रो बसों बसों का संचालन नहीं होगा। जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड द्वारा शहरी सीमा में बसों का संचालन करने नया रूट तैयार करेगा जिसमें तकरीबन 10 दिन लगेंगे। फिर भी जबलपुर सहित लगे ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े रूट पर बसों का संचालन शायद ही शुरू हो पाए। विदित हो कि जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड और निजी बस संचालक के बीच बसों के के संचालन को लेकर मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है।
मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक के बाहर आम तौर पर हर रूट की मेट्रो बसें खड़ी होती थी। फ्लेटफार्म से निकलते ही यात्रियों को सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध थी लेकिन गुरुवार को स्टेशन के बाहर सन्नाटा पसरा रहा। एक भी मेट्रो बसें खड़ी नहीं हुई। आटो और ई-रिक्शा की धमाचौकड़ी जारी रही। चालक यात्रियों को जबरन पकड़कर बैठाते दिखे गए कई बार आटो चालक, यात्रियों के बीच नोक झोंक भी हुई।
मेट्रो बसों का संचालन बंद होने से जबलपुर सहित शहर सहित नगर निगम सीमा में शामिल पनागर, बरेला सहित भेड़ाघाट, बरगी, शहपुरा के यात्री भी परेशान हाेते रहे।14 रूटों की पर बसों का संचालन ठप रहा। क्योंकि सभी रूट एक-दूसरे से जुड़े होने के कारण हाई कोर्ट की अवमानना न इसलिए नगर निगम ने बसों का संचालन बंद करने में ही समझदारी समझी।
विदित हो कि शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए 13 वर्ष पहले मेट्रों बसों का संचालन शुरू हुआ था। नगर निगम ने जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूएम) के तहत वर्ष 2010 में 116 मेट्रो खरीदी थी जिनका संचालन भी होता रहा, लेकिन कोरोना और फिर शहर में किए जा रहे बेढंगे निर्माण कार्यों के चलते 116 बसों में से वर्तमान में करीब 85 बसों का संचालन ही किया जा रहा है। जिसमें 55 बसें अमृत योजना से खरीदी गई नई बसें भी शामिल हैं।