जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिए फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला सामने आने के बाद पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जांच शुरू कर दी है। फिलहाल आरटीजीएस से भुगतान पर रोक लगा दी गई है। आरटीजीएस के जरिए बिल का भुगतान करने वाले उपभोक्ता की बजाय बिल की रकम किसी और उपभोक्ता के नाम पर जमा हो गई। सतना में अब तक 54 मामले उजागर हुए हैं, जिसमें करीब 12 लाख रुपये की हेराफेरी हुई है। ये गड़बड़ी कैसे और कहां से हुई इसको लेकर कंपनी प्रबंधन भी अब तक अनजान है। कंपनी को अंदेशा है कि बड़े स्तर पर यह धांधली हुई है। इस वजह से कंपनी के सभी क्षेत्रीय वित्त अधिकारियों से आरटीजीएस के जरिए जमा बिलों का डेटा बुलाया गया है।
गुपचुप जांच, अफसरों के जवाब नहीं साफ-
इस पूरे मामले में वित्त विभाग और आइटी की सीधी भूमिका समझ आ रही है। इन विभागों के प्रमुख फिलहाल मामले की जांच करने का दावा कर रहे हैं, उनके पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। गड़बड़ी कैसे हुई ये भी वो समझ नहीं पा रहे हैं।
दस्तावेज मिलान के लिए बुलाए-
सतना में फिलहाल मामला उजागर हुआ है। अधीक्षण यंत्री ज्ञानी त्रिपाठी के अनुसार संदिग्ध रूप से 54 मामले अभी सामने आए है। इन सभी उपभोक्ताओं से बिल जमा करने के दस्तावेज मिलान के लिए बुलाए जाएंगे। सभी को नोटिस दिया जा रहा है। उनके अनुसार आरटीजीएस की प्रक्रिया आमतौर पर बड़े उपभोक्ता या सरकारी विभाग अधिक करते हैं। उनके द्वारा बिल की राशि आरटीजीएस कर यूटीआर नंबर की आनलाइन पंचिंग कराई जाती है। गड़बड़ी वाले मामलों में ऐसे उपभोक्ता ने भी बिल आरटीजीएस के जरिए भरा जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी और बिल जमा नहीं कर रहे थे, उनके एकाएक बिल जमा हुए। जिसके बाद संदेह हुआ। जांच हुई तो पता चला कि आरटीजीएस के बाद बैंक से आनलाइन यूटीआर नंबर मिलता है। जो उपभोक्ता द्वारा अपने बिल नंबर के साथ दर्ज करता है। इससे प्रमाणित होता है कि उपभोक्ता ने आनलाइन बैंक से जो राशि स्थानांतरित की है वो उसके द्वारा की गई है। यहां एक यूटीआर नंबर को दो-दो बार एक ही उपभोक्ता ने इस्तेमाल किया। जिससे उसके खाते में अधिक राशि जमा दर्ज हो गई। उन्होंने बताया कि अब पूरे मामले की जांच हो रही है जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया जाएगा।
मेल से यूटीआर नंबर लीक होने की खबर-
सतना के अधीक्षण यंत्री ज्ञानी त्रिपाठी का कहना है कि उपभोक्ता बैंक आरटीजीएस के बाद राशि सीधे क्षेत्रीय वित्त अधिकारी के खाते में पहुंचती है। वहां से उनके द्वारा डिविजन को मेल के जरिए जानकारी भेजी जाती है। संभव है कि मेल या साफ्टवेयर के जरिए आई जानकारी किसी तरह से लीक हुई हो और उसका इस्तेमाल इस तरह से थर्ड पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि यह जांच के बाद तय होगा।
हल्ला इसलिए नहीं-
आरटीजीएस की सुविधा सामान्य तौर पर सरकारी उपक्रम अधिक करते हैं। विभागों के एक नाम से कई कनेक्शन होते हैं। विभागीय प्रक्रिया के तहत बिल की राशि आरटीजीएस की जाती है। सरकारी उपक्रम से कई बार आरटीजीएस करने के बाद भूल जाते हैं या समय पर बिजली विभाग के पास इस यूटीआर नंबर को दर्ज नहीं करवाते हैं। इसी देरी या अनदेखी का फायदा जालसाज लोग उठा रहे हैं।
प्रदेश स्तर पर धांधली की आशंका-
बिजली बिल जमा करने में आनलाइन बैंक आरटीजीएस की प्रक्रिया प्रदेश के तीनों वितरण कंपनी में हो रही है। आशंका है कि कई अन्य शहरों में भी सतना जैसी गड़बड़ी हो सकती हैं। कंपनी स्तर पर इसकी बड़े स्तर पर जांच होने पर मामला साफ हो पाएगा।
अगस्त से शुरू हुई सुविधा-
बिजली बिल बैंक आरटीजीएस के जरिए जमा करने की सुविधा पहले से चल रही है। ये प्रक्रिया पहले मैन्युअल थी। अगस्त 2022 से पूर्व क्षेत्र कंपनी ने इस सुविधा को आनलाइन भी उपलब्ध कराया है। अगस्त माह के बाद से ही ये गड़बड़ी प्रारंभ हो गई। जितने भी मामले सामने आए है वो सभी अगस्त 2022 के बाद के हैं। पूर्व क्षेत्र कंपनी के आइटी एडं सिस्टम प्रमुख विपिन घगट का कहना है कि इस मामले में आइटी के स्तर पर किसी तरह की गड़बड़ी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मेल के जरिए कोई सूचना नहीं जाती है सभी जानकारी आनलाइन ही चरणवार अपडेट होती है। उन्होंने मामले में जांच होने का दावा किया है।
डाटा जांचने के निर्देश
-पूर्व क्षेत्र कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक वित्त मुकुल मेहरोत्रा ने सभी आठ क्षेत्रीय वित्त अधिकारियों को अपने-अपने डाटा जांचने के निर्देश दिए हैं।
- क्षेत्रीय वित्त अधिकारियों को तीन दिन में जांच पूरी कर कंपनी प्रबंधन को जानकारी देनी है।
- वित्त अधिकारियों ने आरटीजीएस की प्रकिया संबंधी आनलाइन साफ्टवेयर में अस्थायी रोक लगा दी है।
-डुप्लीकेट यूटीआर नंबर का उपयोग न हो हो तथा यूटीआर नंबर 15 दिन से अधिक पुराना होने पर उसके उपयोग पर पाबंदी लगाई है।