मप्र हाई कोर्ट ने पूछा-चार साल बाद भी गृह सचिव, डीआइजी व एसपी ईओडब्ल्यू ने क्यों नहीं दिया नोटिस का जवाब
मप्र हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि चार साल पहले पारित आदेश के पालन में मामले में कार्रवाई को गति कैसे नहीं दी गई।
By Ravindra Suhane
Edited By: Ravindra Suhane
Publish Date: Sat, 17 Jul 2021 09:52:03 AM (IST)
Updated Date: Sat, 17 Jul 2021 09:52:03 AM (IST)

जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने चार साल पूर्व गृह सचिव विवेक शर्मा, डीआइजी, ईओडब्ल्यू राजीव टंडन व एसपी, ईओडब्ल्यू देवेंद्र राजपूत को जारी किए गए नोटिस का अब तक जवाब न आने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ उप महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड को इस संबंध में सरकार से निर्देश हासिल कर अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंप दी। मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को निर्धारित की गई है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने आश्चर्य जताते हुए सवाल किया है कि 2017 में चार साल पहले पारित किए गए आदेश के पालन में ढाई करोड़ के घोटाले के मामले में कार्रवाई को गति कैसे नहीं दी गई?
अवमानना याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी नरेश कुमार जाट की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि अवमानना याचिकाकर्ता निलंबित सहकारी समिति प्रबंधक है। उसने जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बसंत पटेल पर ढ़ाई करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। इस सिलसिले में ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। लेकिन ठोस कार्रवाई नदारद रही। 2011 में शिकायत को दरकिनार किए जाने के खिलाफ अवमानना याचिकाकर्ता 2016 में हाई कोर्ट आया। उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
लिहाजा, रिट अपील दायर की गई। 2017 में उसी रिट अपील पर नोटिस जारी किए गए। साथ ही जांच सुनिश्चित करने पर बल दिया गया। लेकिन चार साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच पहले भी तीन अवमानना याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। यह चौथी अवमानना याचिका है। कोर्ट ने पूरे मामले को समझने के बाद सख्ती बरती।