'दुष्कर्म नहीं, यौन शोषण हुआ', MP High Court ने उम्रकैद की सजा को 4 साल के कारावास में बदला, जानें पूरा मामला
MP High Court ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में यह टिप्पणी किया कि दुष्कर्म नहीं यौन शोषण किया गया है। कोर्ट ने इस आधार पर उम्रकैद के दोषी की सजा को चार वर्ष के कारावास में बदल दिया। आइए जानते है पूरा मामला...
Publish Date: Mon, 30 Jun 2025 10:08:19 PM (IST)
Updated Date: Mon, 30 Jun 2025 10:08:19 PM (IST)
MP High Court ने उम्रकैद की सजा को 4 साल के कारावास में बदलानईदुनियाा प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में यह टिप्पणी किया कि दुष्कर्म नहीं यौन शोषण किया गया है। MP High Court ने इस आधार पर उम्रकैद के दोषी की सजा को चार वर्ष के कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता को किसी तरह की अंदरूनी या बाहरी चोट नहीं है।
क्यों दी गई थी उम्रकैद की सजा?
लिहाजा, पॉक्सो एक्ट की धारा- तीन नहीं वरन धारा- सात के तहत दोषी माना जाएगा। अपीलार्थी सिंगरौली निवासी विंदोस राव की ओर से अधिवक्ता महेश प्रसाद शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पॉक्सो अदालत ने आरोपित को 11 सितंबर, 2023 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जो कि अनुचित है। ऐसा इसलिए क्योंकि महज डीएनए रिपोर्ट के आधार पर सजा दी गई।
पुलिस के दबाव में आकर लगाया आरोप
मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर में कहीं भी अंदरूनी या बाहरी चोट नहीं पाई गई है। पीड़िता की नानी ने भी अपने बयान में कहा था कि उसने पुलिस के दबाव में आकर आरोप लगाया है। हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला बेशक यौन शोषण का तो है, किंतु दुष्कर्म का नहीं। इसलिए उम्रकैद की सजा अधिक है, इसके स्थान पर चार वर्ष का कारावास अपेक्षाकृत न्यायोचित है।
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