नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष हाथी के मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन ने अवगत कराया कि कान्हा में रखे गए जंगली हाथी को 15 दिन में छोड़ दिया जाएगा। हाथी को पहनाने के लिए विदेश से कॉलर आईडी मंगवाई गई है।
हाई कोर्ट ने उक्त जानकारी को रिकॉर्ड पर ले लिया। साथ ही शहडोल से पकड़कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व लाए गए हाथी की मौत को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन को फटकार लगाई। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जंगली हाथियों को पकड़ने की प्रक्रिया में वाइल्ड लाइफ एक्ट का पालन किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को नियत कर दी गई।
दरअसल, रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं। इससे फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। कुछ मामलों में जंगली हाथियों के हमलों में लोगों की जान भी जा चुकी है।
जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फारेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है। जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं। पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए।
सरकार की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है, जिसमें से दो हाथियों को विदेश से मंगवाई गई कालर आईडी पहनाकर छोड दिया गया है। पूर्व में याचिकाकर्ता की ओर से प्रदेश में हाथियों को कंट्रोल करने के लिए एक्सपर्ट का मामला भी उठाया गया था। सरकार की तरफ से बताया गया था कि छह सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी के सेंटर आफ एलिफेंट स्टेडी कॉलेज ऑफ वेटनरी एनिमल साइंस के प्रोफेसर राजीव टीएस को शामिल किया गया है।