MP High Court: रिश्तेदार के पैसे नहीं लौटाना वकील को पड़ा भारी, बार काउंसिल ने लगाया दो लाख का जुर्माना
यदि ऐसा नहीं कर सके तो रुपये लौटा देंगे। यह सोचा गया था कि यदि सहज तरीके से स्टे हट गया तो यही दावा कर दूंगा कि मेरे प्रयास से स्टे हटा है। साथ ही जो लाखों रुपये लिए हैं, वे हड़प जाऊंगा। जब साल-दर-साल गुजरने के बावजूद स्टे नहीं हटा तो रिश्तेदार ने रुपये वापस मांगे। इस पर वकील ने दो-टूक मना कर दिया।
By Paras Pandey
Edited By: Paras Pandey
Publish Date: Thu, 15 Feb 2024 09:47:39 PM (IST)
Updated Date: Thu, 15 Feb 2024 09:47:39 PM (IST)
वकील पर दो लाख का जुर्मानाHighLights
- कनाडा निवासी रिश्तेदार के रुपये नहीं लौटाए
- वकील पर दो लाख का जुर्माना
- स्टेट बार कौंसिल का आदेश
जबलपुर, (नईदुनिया प्रतिनिधि)। एमपी स्टेट बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने कनाडा निवासी रिश्तेदार के रुपये न लौटाने के आरोपित अधिवक्ता बैढ़न, सिंगरौली निवासी मनोज कुमार सिन्हा का दोष सिद्ध पाया। इसी के साथ दो लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।
अनुशासन समिति के चेयरमैन अधिवक्ता जगन्नाथ त्रिपाठी व सदस्य द्वय राजेश पांडे व प्रमोद ठाकरे की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान पाया गया कि अधिवक्ता मनोज कुमार सिन्हा ने ओंटारियो, कनाडा निवासी रिश्तेदार अलका श्रीवास्तव को भरोसा दिलाया था कि हाई कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण में स्टे हटा देंगे।
यदि ऐसा नहीं कर सके तो रुपये लौटा देंगे। यह सोचा गया था कि यदि सहज तरीके से स्टे हट गया तो यही दावा कर दूंगा कि मेरे प्रयास से स्टे हटा है। साथ ही जो लाखों रुपये लिए हैं, वे हड़प जाऊंगा। जब साल-दर-साल गुजरने के बावजूद स्टे नहीं हटा तो रिश्तेदार ने रुपये वापस मांगे। इस पर वकील ने दो-टूक मना कर दिया।
यही नहीं धमकी दी कि यदि रुपये के लिए दबाव बनाया गया तो आत्महत्या कर लूंगा। उसने बार-बार तकाजा करने पर उधारी के चंद रुपये तो किसी तरह लौटा दिए किंतु केस का स्टे हटने के नाम पर लिए रुपये नहीं लौटाए। इसलिए स्टेट बार में शिकायत की गई।
सुनवाई के बाद वकील को कोड ऑफ एथिक्स का उल्लंघन करने का दोषी पाकर जुर्माना लगा दिया गया। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह सजा कम है। नियमानुसार वकालत का लाइसेंस निलंबित होना चाहिए।